मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर कड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने चुनाव आयोग और मतदाता सूची पर जो आरोप लगाए हैं, वे झूठे और बिना सबूत के हैं। यदि राहुल गांधी के पास अपने दावों का सबूत है तो उन्हें सात दिन के भीतर शपथपत्र (हलफनामा) देना होगा, वरना पूरे देश से माफी मांगनी होगी। उन्होंने साफ कहा कि इस मामले में तीसरा विकल्प नहीं है।
हलफनामा या माफी
ज्ञानेश कुमार ने बिना नाम लिए राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि आयोग और मतदाता सूची पर गलत आरोप गंभीर अपराध हैं। उन्होंने कहा कि सिर्फ एक PPT दिखाकर यह कहना कि किसी महिला ने दो बार मतदान किया है, चुनाव प्रक्रिया पर गलत सवाल खड़े करना है। आयोग ने स्पष्ट किया कि ऐसे आरोप बिना हलफनामे के स्वीकार नहीं किए जा सकते।
तीसरा विकल्प नहीं
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा, “मतदाताओं को अपराधी बताना और आयोग चुप रहे, यह संभव नहीं है। या तो हलफनामा देना होगा या फिर पूरे देश से माफी मांगनी होगी। सात दिन में हलफनामा न मिलने का मतलब है कि सारे आरोप निराधार हैं।”
सबसे बड़ी मतदाता सूची
ज्ञानेश कुमार ने कहा कि भारत में 90 से 100 करोड़ के बीच मतदाता सूची है, जो दुनिया की सबसे बड़ी है। उन्होंने बताया कि यहां 60% से ज्यादा मतदान होता है, जो कई बड़े लोकतंत्रों में संभव नहीं। इस प्रक्रिया में लाखों चुनाव अधिकारी और कर्मचारी जुड़े होते हैं। ऐसे में बिना सबूत आरोप लगाना गंभीर मामला है।
आपत्ति दर्ज नहीं हुई
सीईसी ने बताया कि 1 अगस्त के बाद किसी भी राजनीतिक दल ने मतदाता सूची पर आपत्ति दर्ज नहीं कराई है। उन्होंने कहा कि मसौदा सूची में गलती हो सकती है और आयोग उसे सुधारने के लिए तैयार है। सभी राजनीतिक दलों को 1 सितंबर तक समय दिया गया है ताकि वे अपनी आपत्तियां दर्ज करा सकें।

- CEC ज्ञानेश कुमार ने राहुल गांधी के आरोपों को निराधार बताया और 7 दिन में हलफनामा देने को कहा।
- हलफनामा न देने पर राहुल गांधी को पूरे देश से माफी मांगनी होगी, आयोग ने तीसरे विकल्प से इनकार किया।
- आयोग ने कहा कि बिना सबूत मतदाता सूची पर सवाल उठाना गंभीर मामला है और इसे स्वीकार नहीं किया जाएगा।
- ज्ञानेश कुमार ने बताया कि भारत की मतदाता सूची दुनिया की सबसे बड़ी है और यहां 60% से ज्यादा मतदान होता है।
- 1 अगस्त के बाद से किसी पार्टी ने आपत्ति दर्ज नहीं कराई, आयोग ने 1 सितंबर तक राजनीतिक दलों से सुझाव मांगे हैं।

