नेशनल ब्रेकिंग. पूरा देश होली के रंगों में सराबोर होने को तैयार है। रंगों का त्योहार होली नजदीक है और इसके साथ ही होलिका दहन की तैयारियां भी जोरों पर हैं। इस वर्ष, होलिका दहन 13 मार्च, गुरुवार को होगा और रंगों वाली होली 14 मार्च, शुक्रवार को खेली जाएगी।
होलिका दहन: बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक
होलिका दहन का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह हर वर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सही विधि-विधान से होलिका दहन करने से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है और परिवार में सुख-शांति आती है। इस शुभ दिन भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और चंद्र देव की पूजा करने का विशेष महत्व बताया गया है।
होलिका दहन की तिथि और भद्रा का प्रभाव
होलिका दहन के लिए तिथि, भद्रा और शुभ मुहूर्त का विशेष महत्व होता है। इस बार, भद्रा काल सुबह 10:35 बजे से रात 11:26 बजे तक रहेगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, भद्रा काल में होलिका दहन वर्जित होता है।
होलिका दहन 2025: महत्वपूर्ण तिथियां और समय
- फाल्गुन पूर्णिमा प्रारंभ: 13 मार्च, सुबह 10:35 बजे
- फाल्गुन पूर्णिमा समाप्त: 14 मार्च, दोपहर 12:24 बजे
- भद्रा काल: 13 मार्च, सुबह 10:35 बजे से रात 11:26 बजे तक
- होलिका दहन का शुभ मुहूर्त: रात 11:27 बजे से मध्य रात्रि 12:30 बजे तक
होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त
- राहुकाल (13:30 से 15:00) में पूजा न करें, क्योंकि यह अशुभ माना जाता है।
- रात 11:27 से 12:30 बजे तक होलिका दहन करना सबसे शुभ रहेगा।
- शुद्ध घी और हवन सामग्री का प्रयोग करें, इससे नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
धार्मिक और सामाजिक महत्व
होलिका दहन केवल धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि सामाजिक समरसता और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक भी है। यह पर्व हमें सिखाता है कि सच्चाई और अच्छाई का अंततः विजय होता है। इस अवसर पर लोग परिवार और समाज के साथ मिलकर बुरी आदतों और नकारात्मकता को त्यागने का संकल्प लेते हैं।