नेशनल ब्रेकिंग. तमिलनाडु सरकार ने राज्य बजट 2025-26 में राष्ट्रीय मुद्रा के सिंबल (₹) को हटाने और उसकी जगह तमिल सिंबल (ரூ) इस्तेमाल करने का फैसला किया है। यह फैसला राज्य सरकार और केंद्र सरकार के बीच बढ़ते तनाव को और बढ़ा सकता है। यह पहला मौका है जब किसी राज्य ने रुपये के आधिकारिक सिंबल को बदलने का कदम उठाया है, जिससे राजनीतिक हलचल तेज हो गई है।
राजनीतिक विवाद और विरोध
तमिलनाडु सरकार के इस फैसले के खिलाफ भाजपा नेताओं ने विरोध शुरू कर दिया है। कई भाजपा नेताओं ने सोशल मीडिया पर 2024 और 2025 के बजट दस्तावेजों की तुलना करते हुए रुपये के सिंबल में बदलाव को उजागर किया। इस कदम को राष्ट्रीय आर्थिक नीति के खिलाफ बताया जा रहा है और इसे राजनीतिक एजेंडा करार दिया जा रहा है।
यह विवाद ऐसे समय पर बढ़ रहा है जब तमिलनाडु सरकार और केंद्र सरकार के बीच पहले से ही तनातनी है। राज्य सरकार केंद्र पर हिंदी को थोपने का आरोप लगाते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के तहत लागू तीन-भाषा फॉर्मूले का विरोध कर रही है।
क्या है रुपये के सिंबल का विवाद?
तमिलनाडु सरकार ने स्टेट बजट के आधिकारिक दस्तावेजों में ‘₹’ की जगह ‘ரூ’ (तमिल भाषा में रुपये का सिंबल) इस्तेमाल किया है। जबकि भारत में 22 आधिकारिक भाषाएं हैं, रुपये का मानक सिंबल (₹) देवनागरी के ‘र’ और अंग्रेजी के ‘R’ से प्रेरित है और इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मान्यता प्राप्त है।
मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन 14 मार्च को वित्त वर्ष 2025-26 का बजट पेश करेंगे, लेकिन इससे पहले ही इस बदलाव को लेकर विवाद छिड़ गया है। स्टालिन ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर बदले हुए सिंबल को दिखाया, जिससे यह मुद्दा और गरमा गया है।
क्या कहता है संविधान?
विशेषज्ञों के मुताबिक, रुपये का सिंबल भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और भारत सरकार द्वारा आधिकारिक रूप से तय किया गया है और इसका इस्तेमाल पूरे देश में समान रूप से होना चाहिए। यदि कोई राज्य अपनी मुद्रा का सिंबल बदलता है तो यह संवैधानिक विवाद का कारण बन सकता है।
केंद्र सरकार इस पर आपत्ति दर्ज करा सकती है और यह मामला कानूनी विवाद का रूप भी ले सकता है। अब देखना यह होगा कि तमिलनाडु सरकार अपने इस फैसले पर अडिग रहती है या बढ़ते विरोध के बीच इसे वापस लेने का निर्णय लेती है।

- तमिलनाडु सरकार ने ₹ हटाकर तमिल सिंबल ‘ரூ’ का इस्तेमाल किया, जिससे राजनीतिक विवाद गहरा गया।
- भाजपा नेताओं ने सोशल मीडिया पर इस बदलाव का विरोध किया, और केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग की।
- तमिलनाडु सरकार का तर्क है कि केंद्र सरकार हिंदी थोपने की कोशिश कर रही है, इसलिए राज्य अपनी भाषा को प्राथमिकता दे रहा है।
- 14 मार्च को मुख्यमंत्री स्टालिन बजट पेश करेंगे, जिसमें यह बदलाव आधिकारिक रूप से शामिल किया जाएगा।
- संविधान विशेषज्ञों के अनुसार, रुपये का आधिकारिक सिंबल आरबीआई और केंद्र सरकार द्वारा तय होता है, और यह विवाद कानूनी रूप ले सकता है।