नेशनल ब्रेकिंग: कनाडा को उसका 24वां प्रधानमंत्री मिल गया है। शुक्रवार को मार्क कार्नी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली और देश की सत्ता की बागडोर अपने हाथों में संभाली। कार्नी ने जस्टिन ट्रूडो की जगह ली है, जो 2015 से कनाडा के प्रधानमंत्री थे।
अमेरिका से बिगड़ते रिश्ते बनीं सबसे बड़ी चुनौती
कार्नी के सामने सबसे बड़ी चुनौती अमेरिका के साथ बिगड़ते संबंधों को सुधारने की है। अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की सत्ता में वापसी के बाद दोनों देशों के ऐतिहासिक रिश्तों में दरार आ गई थी। ऐसे में कनाडा को एक मजबूत और कूटनीतिक नेतृत्व की जरूरत थी, जिसे पूरा करने की उम्मीद मार्क कार्नी से की जा रही है।
बैंकिंग जगत से राजनीति में कदम
मार्क कार्नी का अनुभव भी उनकी सबसे बड़ी ताकत है। वह बैंक ऑफ इंग्लैंड के गवर्नर रह चुके हैं और सेंट्रल बैंकिंग में उनके योगदान को दुनिया भर में सराहा गया है। उनका आर्थिक दृष्टिकोण और नीतिगत समझ कनाडा की अर्थव्यवस्था और विदेश नीति को मजबूती देने में मददगार साबित हो सकती है।
नए मंत्रिमंडल में होगा बड़ा बदलाव
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, कार्नी का मंत्रिमंडल आकार में जस्टिन ट्रूडो की कैबिनेट से लगभग आधा हो सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, नए मंत्रिमंडल में 15 से 20 मंत्री शामिल होने की संभावना है, जबकि वर्तमान कैबिनेट में प्रधानमंत्री सहित 37 मंत्री हैं। मार्क कार्नी के नेतृत्व में कनाडा किस दिशा में आगे बढ़ता है और अमेरिका के साथ संबंधों को कैसे सुधारता है, इस पर दुनिया की नजरें टिकी रहेंगी।

- मार्क कार्नी ने कनाडा के 24वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली, उन्होंने जस्टिन ट्रूडो की जगह ली।
- कार्नी के सामने अमेरिका-कनाडा के बिगड़ते रिश्तों को सुधारने की महत्वपूर्ण चुनौती है, खासकर डोनाल्ड ट्रंप की अमेरिकी सत्ता में वापसी के बाद।
- बैंकिंग क्षेत्र में मजबूत पृष्ठभूमि के साथ, कार्नी अपने आर्थिक दृष्टिकोण और रणनीतिक सोच को राजनीति में ला रहे हैं।
- रिपोर्ट्स के मुताबिक, कार्नी का मंत्रिमंडल आकार में छोटा हो सकता है, जिसमें 15 से 20 मंत्री शामिल हो सकते हैं, जबकि वर्तमान कैबिनेट में 37 मंत्री हैं।
- वैश्विक समुदाय की निगाहें कार्नी के नेतृत्व और अमेरिका के साथ उनके कूटनीतिक संबंधों को मजबूत करने की उनकी नीति पर टिकी रहेंगी।