नेशनल ब्रेकिंग. होली के अगले दिन यानी 15 मार्च से चैत्र माह प्रारंभ हो गया है। यह माह अब 12 अप्रैल तक रहेगा। हिंदू पंचाग का यह पहला महिना माना जाता है और इस माह की शुक्ल एकम से भारतीय नववर्ष प्रारंभ होता है। इस माह में देवी दुर्गा, भगवान विष्णु और सूर्यदेव की विशेष पूजा का विधान है। हिंदू धर्म में इस माह का अत्यधिक धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है, क्योंकि इसी दौरान चैत्र नवरात्रि, रामनवमी और हनुमान जयंती जैसे महत्वपूर्ण पर्व मनाए जाते हैं।
जानिए, चैत्र माह 2025 के प्रमुख व्रत-त्योहारों की तारीखें
16 मार्च 2025 – भाई दूज
इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक कर उनके सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। यह त्योहार भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है।
19 मार्च 2025 – रंग पंचमी
यह दिन देवी-देवताओं को समर्पित होता है। मान्यता है कि इस दिन ईश्वर सूक्ष्म रूप में धरती पर आते हैं और भक्तों को आशीर्वाद देते हैं।
22 मार्च 2025 – शीतला अष्टमी (बासोड़ा)
इस दिन माता शीतला की पूजा की जाती है। इसे बसोड़ा भी कहते हैं। इस दिन बासी भोजन ग्रहण करने की परंपरा है, जिससे त्वचा रोगों से बचाव होता है।
25 मार्च 2025 – पापमोचिनी एकादशी
यह व्रत जीवन में किए गए पापों से मुक्ति दिलाने वाला माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की आराधना करने से सभी दुखों का नाश होता है।
29 मार्च 2025 – सूर्य ग्रहण और चैत्र अमावस्या
इस दिन साल का पहला सूर्य ग्रहण लगेगा, जो धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
30 मार्च 2025 – गुड़ी पड़वा और चैत्र नवरात्रि आरंभ
गुड़ी पड़वा को महाराष्ट्र में नववर्ष के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन से नौ दिनों तक चलने वाले चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ होता है। इसी दिन से भारतीय नववर्ष प्रारंभ होगा।
06 अप्रैल 2025 – श्रीराम नवमी
यह दिन भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना और भजन-कीर्तन किए जाते हैं।
12 अप्रैल 2025 – चैत्र पूर्णिमा और हनुमान जयंती
चैत्र पूर्णिमा के दिन हनुमान जयंती मनाई जाती है। इस दिन हनुमान चालीसा का पाठ करने से सभी कष्ट दूर होते हैं।
चैत्र मास के धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
- यह महीना सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर माना जाता है, क्योंकि सृष्टि की रचना इसी माह में हुई थी।
- इस महीने में भगवान विष्णु के पहले अवतार ‘मत्स्य’ की पूजा करने का विशेष महत्व होता है।
- चैत्र माह में व्रत, दान और पूजन करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है।
- इस दौरान बासी भोजन न करने, सूर्योदय से पहले स्नान करने और सात्विक आहार ग्रहण करने की परंपरा है।