Monday, April 28, 2025
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शनिश्चरी अमावस्या पर दुर्लभ संयोग में करें शनि पूजा, सूर्य ग्रहण और शनि गोचर से मिलेगा शुभ फल

शनिदेव की कृपा हर व्यक्ति पाना चाहता है, क्योंकि जब कुंडली में शनि अशुभ होते हैं, तो जीवन संघर्षपूर्ण हो जाता है। इस बार शनिश्चरी अमावस्या 2025 का योग विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इसी दिन सूर्य ग्रहण और शनि गोचर का दुर्लभ संयोग बन रहा है। इस दिन शनि देव की पूजा और उपाय करने से विशेष लाभ प्राप्त हो सकता है।

शनिश्चरी अमावस्या 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

चैत्र अमावस्या इस वर्ष 29 मार्च 2025 को पड़ रही है। अमावस्या तिथि 28 मार्च 2025 को रात 7:55 बजे शुरू होगी और 29 मार्च 2025 को शाम 4:27 बजे समाप्त होगी।

स्नान मुहूर्त: सुबह 4:40 से 5:27
पूजा मुहूर्त: सुबह 7:46 से 9:19
सूर्य ग्रहण का समय: सुबह 10:12 से दोपहर 2:45
शनि गोचर: मीन राशि में प्रवेश

शनिश्चरी अमावस्या का महत्व

शनि अमावस्या पर पवित्र नदी में स्नान करने और पीपल के पेड़ की पूजा करने से शनि दोष और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
इस दिन सरसों का तेल, काले तिल और लोहे का दान करने से शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के प्रभाव कम होते हैं।
जो लोग कालसर्प दोष या पितृ दोष से पीड़ित हैं, वे इस दिन पिंडदान और तर्पण कर सकते हैं।
सूर्य ग्रहण और शनि गोचर के दुर्लभ संयोग के कारण इस दिन की गई पूजा का 100 गुना फल प्राप्त होता है।

शनि अमावस्या के उपाय

  • सुबह स्नान कर पीपल के वृक्ष की पूजा करें और सरसों का तेल चढ़ाएं।
  •  शनिदेव को काले तिल, लोहे की वस्तुएं और उड़द दाल अर्पित करें।
  •  108 बार “ॐ शं शनैश्चराय नमः” मंत्र का जाप करें।
  •  गाय को चारा खिलाएं और जरूरतमंदों को भोजन कराएं।

शनिश्चरी अमावस्या पर शनि का गोचर और सूर्य ग्रहण

इस साल शनिश्चरी अमावस्या और सूर्य ग्रहण का दुर्लभ संयोग बन रहा है, जो 19 साल बाद पहली बार हो रहा है। इसी दिन शनि देव मीन राशि में प्रवेश करेंगे, जिससे कई राशियों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। जो लोग शनि की महादशा, साढ़ेसाती या ढैय्या से परेशान हैं, उनके लिए यह दिन अत्यंत शुभ रहेगा। सही विधि से पूजा करने पर शनि देव की कृपा प्राप्त होगी और जीवन में सकारात्मक बदलाव आएंगे।

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