होली के बाद शीतला अष्टमी का पर्व भारत में बड़े श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया जाता है। यह पर्व देवी शीतला को समर्पित होता है, जिन्हें रोग नाशिनी और शीतलता प्रदान करने वाली देवी माना जाता है। उत्तर भारत, विशेषकर राजस्थान, गुजरात और उत्तर प्रदेश में इसे बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
शीतला अष्टमी 2025 तिथि और पूजा मुहूर्त
शीतला अष्टमी 2025: 22 मार्च 2025 (शनिवार)
ष्टमी तिथि प्रारंभ: 22 मार्च 2025, सुबह 4:23 बजे
अष्टमी तिथि समाप्त: 23 मार्च 2025, सुबह 5:23 बजे
पूजा मुहूर्त: सुबह 6:21 बजे से शाम 6:32 बजे तक
पूजा अवधि: 12 घंटे 11 मिनट
शीतला सप्तमी कब है?
शीतला सप्तमी 2025: 21 मार्च 2025 (शुक्रवार)
पूजा का शुभ मुहूर्त: सुबह 6:21 बजे से शाम 6:32 बजे तक
बासी भोजन खाने की परंपरा और वैज्ञानिक कारण
शीतला अष्टमी को बासौड़ा पर्व भी कहा जाता है। इस दिन घर में कोई नया भोजन नहीं पकाया जाता, बल्कि एक दिन पहले बना हुआ बासी भोजन खाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, शीतला माता गर्मी और संक्रमण से बचाने वाली देवी हैं, इसलिए इस दिन आग जलाने की मनाही होती है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी यह परंपरा महत्वपूर्ण है। गर्मियों की शुरुआत में पुराने समय में संक्रमण और जलजनित रोग फैलने की संभावना अधिक रहती थी। बासी भोजन खाने से शरीर में गर्मी कम बनी रहती है और संक्रमण का खतरा घटता है।
शीतला माता की पूजा विधि
सवेरे जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
शीतला माता की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक जलाएं और जल से अभिषेक करें।
बासी भोजन, विशेषकर मीठा रोटी, बाजरा, दही और गुड़ का भोग अर्पित करें।
शीतला माता के मंत्रों का जाप करें और आरती करें।
बीमारियों से बचने और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए माता से प्रार्थना करें।
शीतला अष्टमी का धार्मिक और सामाजिक महत्व
स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता: यह पर्व गर्मी में संक्रमण से बचाव का संदेश देता है।
पर्यावरण संरक्षण: इस दिन आग जलाने की मनाही से ईंधन की बचत होती है।
सामाजिक समरसता: गांव और कस्बों में सामूहिक रूप से माता की पूजा की जाती है, जिससे समाज में एकता बनी रहती है।
शीतला अष्टमी केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि स्वास्थ्य, परंपरा और समाज से जुड़ा अनूठा उत्सव है। माता शीतला की कृपा से सभी स्वस्थ और सुखी रहें, यही इस पर्व का मुख्य उद्देश्य है।