Tuesday, April 29, 2025
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राजस्थान कांग्रेस में दो नए पावर सेंटर: डोटासरा और जूली के बीच बढ़ती तनातनी, पार्टी को होगा नुकसान?

राजस्थान कांग्रेस में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच तनातनी किसी से छिपी नहीं है। अब पार्टी में दो नए पावर सेंटर उभर रहे हैं—प्रदेशाध्यक्ष गोविंदसिंह डोटासरा और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली। दोनों के बीच चल रही शीतयुद्ध सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है। हालांकि, कांग्रेस के बड़े नेता इसे सिरे से खारिज कर रहे हैं, लेकिन पर्दे के पीछे सब कुछ ठीक नहीं है।

रंधावा का दावा, लेकिन अंदरखाने कुछ और कहानी

कांग्रेस के राजस्थान प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा का कहना है कि दोनों नेताओं के बीच कोई मनमुटाव नहीं है। फैसले आपसी सहमति से लिए जा रहे हैं। लेकिन पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, डोटासरा इस कदर नाराज हैं कि उन्होंने विधानसभा सत्र में भी भाग नहीं लिया। यहां तक कि उन्होंने पार्टी हाईकमान के सामने भी अपनी बात रखी है।

कैसे शुरू हुई नाराजगी?

विधानसभा चुनाव के बाद डोटासरा नेता प्रतिपक्ष पद के प्रबल दावेदार थे, लेकिन गांधी परिवार के करीबी एक नेता के समर्थन से बाजी जूली के हाथ लगी। इसके बाद विधानसभा सत्र में डोटासरा ने विपक्ष की भूमिका में सरकार को घेरा, जिससे जूली असहज हो गए। बजट सत्र में जब मंत्री ने इंदिरा गांधी को ‘दादी’ कहा, तो कांग्रेस विधायकों ने जमकर हंगामा किया। स्पीकर ने डोटासरा समेत पांच विधायकों को निलंबित कर दिया। लेकिन जब जूली और कांग्रेस के मुख्य सचेतक रफीक खान ने डोटासरा की सहमति के बिना सदन में माफी मांगने का फैसला लिया, तब से डोटासरा की नाराजगी और बढ़ गई।

डोटासरा का सदन से किनारा, मुख्यमंत्री का तंज

हालांकि, बाद में निलंबन रद्द हो गया, लेकिन डोटासरा फिर भी विधानसभा नहीं आए। उन्होंने मीडिया से कहा कि इसके कई कारण हैं। उधर, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने सदन में डोटासरा की तुलना ‘रूठे फूफा’ से कर तंज कसा।

जूली ने मनमुटाव से किया इनकार

टीकाराम जूली का कहना है कि उनके और डोटासरा के बीच कोई नाराजगी नहीं है। उन्होंने कहा, “हमारे बीच कोई विवाद नहीं है। भाजपा अफवाहें फैला रही है। हम एकजुट हैं और सरकार को घेर रहे हैं।” लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही इशारा कर रही है।

गुटबाजी से पार्टी को नुकसान?

इस खींचतान का असर कांग्रेस विधायकों पर भी दिख रहा है। विधानसभा में भाजपा विधायक ने कांग्रेस के मुख्य सचेतक रफीक खान को ‘पाकिस्तानी’ कहा, लेकिन कांग्रेस विधायकों ने जोरदार विरोध नहीं किया। इससे साफ है कि पार्टी भीतर से बंटी हुई है।

विश्लेषकों की राय: गुटबाजी से कांग्रेस को होगा नुकसान?

राजनीतिक विश्लेषक मनीष गोधा का कहना है कि यह नाराजगी नई नहीं है। डोटासरा और जूली के बीच अनबन नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति के समय से ही चल रही है। कांग्रेस को अभी साढ़े तीन साल विपक्ष में रहकर संघर्ष करना है। यदि गुटबाजी नहीं रुकी, तो इसका असर नगर निकाय और पंचायत चुनाव में देखने को मिलेगा।

क्या रंधावा का ‘एकजुटता मंत्र’ असर करेगा?

प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने दोनों नेताओं के बीच मतभेद दूर करने के लिए ‘एकजुटता मंत्र’ दिया है। लेकिन क्या यह काम करेगा या नहीं, यह आने वाले दिनों में साफ होगा। लेकिन फिलहाल, इस सियासी खींचतान से कांग्रेस कार्यकर्ता जरूर असमंजस में हैं।

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  1. नेतृत्व विवाद: राजस्थान कांग्रेस में प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली के बीच मतभेद उभरकर सामने आए हैं, जिससे पार्टी में गुटबाजी की आशंका बढ़ गई है।
  2. पद नियुक्ति से असंतोष: विधानसभा चुनाव के बाद डोटासरा नेता प्रतिपक्ष पद के प्रबल दावेदार थे, लेकिन यह पद जूली को मिलने से डोटासरा नाराज बताए जा रहे हैं।
  3. विधानसभा सत्र में अनुपस्थिति: नाराजगी के चलते डोटासरा ने विधानसभा सत्र में भाग नहीं लिया, जिससे पार्टी के भीतर असंतोष की स्थिति उत्पन्न हुई।
  4. पार्टी नेतृत्व का दावा: कांग्रेस के राजस्थान प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा का कहना है कि दोनों नेताओं के बीच कोई मनमुटाव नहीं है और सभी फैसले आपसी सहमति से लिए जा रहे हैं।
  5. विश्लेषकों की राय: राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि यह गुटबाजी जारी रही, तो आगामी नगर निकाय और पंचायत चुनावों में कांग्रेस को नुकसान हो सकता है।
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