Monday, April 28, 2025
spot_img
Homeधर्म-संस्कृतिशीतला अष्टमी पर घर में चूल्हा जलाने से लगता है दोष, माता...

शीतला अष्टमी पर घर में चूल्हा जलाने से लगता है दोष, माता को लगाएं ठंडे भोजन का प्रसाद

शीतला अष्टमी, जिसे बसोड़ा पूजा भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में विशेष स्थान रखती है। यह पर्व विशेष रूप से मां शीतला की आराधना के लिए मनाया जाता है, जिन्हें रोगों से मुक्ति दिलाने वाली देवी माना जाता है। 2025 में यह पावन पर्व 22 मार्च, शनिवार को मनाया जाएगा। इस दिन मां शीतला की पूजा कर बासी भोजन का भोग लगाया जाता है, जिससे भक्तों को स्वास्थ्य लाभ मिलता है।

क्यों नहीं जलाया जाता चूल्हा?

शीतला अष्टमी के दिन चूल्हा जलाने की मनाही होती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन ताजा भोजन बनाने से मां शीतला नाराज हो सकती हैं। इसीलिए, व्रत रखने वाले भक्त 21 मार्च को ही पकवान तैयार कर लेते हैं और अगले दिन उन्हें मां शीतला को अर्पित किया जाता है।

शीतला अष्टमी की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

  • अष्टमी तिथि प्रारंभ: 21 मार्च 2025, रात 10:45 बजे
  • अष्टमी तिथि समाप्त: 22 मार्च 2025, रात 8:30 बजे

इस दिन मां शीतला की प्रतिमा के समक्ष दीप जलाकर, पुष्प अर्पित कर और “ॐ शीतलायै नमः” मंत्र का जाप किया जाता है।

शीतला अष्टमी का प्रसाद: क्या करें भोग में शामिल?

मां शीतला को बासी भोजन पसंद होता है, इसलिए पूजा में ताजा भोजन नहीं चढ़ाया जाता। इस दिन विशेष रूप से चावल, दही, मीठी पूड़ियां, गुलगुले, कढ़ी, चने की दाल, हलवा और रेवड़ी का प्रसाद तैयार किया जाता है।

शीतला अष्टमी का धार्मिक और सामाजिक महत्व

शीतला अष्टमी न केवल धार्मिक बल्कि स्वास्थ्य और स्वच्छता से जुड़ा पर्व भी है। यह पर्व गर्मी में होने वाली बीमारियों जैसे चेचक, खसरा, बड़ी माता, छोटी माता जैसी बीमारियों से बचाव के लिए मनाया जाता है।

व्रत के दौरान क्या न करें?

  • इस दिन गर्म पानी से स्नान नहीं करना चाहिए
  • ताजा भोजन बनाने और खाने से बचना चाहिए।
  • पूजा के बाद ही भोजन ग्रहण करना चाहिए।
  • घर की स्वच्छता बनाए रखना जरूरी है।

शीतला अष्टमी पर पूरे विधि-विधान से मां शीतला की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और स्वास्थ्य अच्छा रहता है।

अन्य खबरें