केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को बिजनेस टुडे के कार्यक्रम ‘बीटी माइंडरश’ में भारत की विदेश नीति को लेकर अपनी बेबाक राय रखी। उन्होंने स्पष्ट किया कि मौजूदा वैश्विक उथल-पुथल के बीच भारत उन गिने-चुने देशों में से एक है, जो रूस और यूक्रेन, इजरायल और ईरान, क्वाड और ब्रिक्स, सभी के साथ संवाद कायम रख सकता है।
भारत की कूटनीति: रूस-यूक्रेन
जयशंकर ने भारत की कूटनीति को ‘सबका साथ, सबका विकास’ की सोच से जोड़ते हुए कहा कि विदेश नीति में भी यह मंत्र पूरी तरह लागू होता है। उन्होंने कहा, “हमारा दृष्टिकोण हमेशा से शांति और संतुलन का रहा है। जहां कई देश रूस-यूक्रेन युद्ध में किसी एक पक्ष के साथ खड़े हो गए, वहीं भारत ने तटस्थ रुख अपनाते हुए शांति वार्ता को प्राथमिकता दी।”
मध्य पूर्व संकट और भारत का संतुलन
इजरायल-ईरान संघर्ष के संदर्भ में जयशंकर ने कहा कि भारत ने दोनों देशों के साथ अपने रिश्तों को संतुलित बनाए रखा है। उन्होंने कहा, “इजरायल रक्षा आपूर्ति में भारत के लिए अहम है, जबकि ईरान से हमें ऊर्जा जरूरतें पूरी करने में मदद मिलती है। ऐसे में हमें कूटनीतिक संतुलन बनाए रखना जरूरी है।”
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने हाल ही में भारत की विदेश नीति की सराहना की थी, हालांकि उनकी पार्टी को यह पसंद नहीं आया। इस पर जयशंकर ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा, “मैं हमेशा से थरूर के विचारों की कद्र करता हूं।”
वैश्विक राजनीति में भारत की भूमिका
जयशंकर ने कहा कि मौजूदा दौर में वैश्विक राजनीति को समझना पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गया है। उन्होंने कहा, “हम भले ही यहां बिजनेस की बात कर रहे हों, लेकिन असल में यह नौकरियां पैदा करने और देश को आगे बढ़ाने की कहानी है। जब बिजनेस सफल होते हैं, तभी हमारे पास वह ताकत और तकनीक आती है, जो ‘विकसित भारत’ का सपना सच कर सकती है।”
उन्होंने यह भी बताया कि कोविड-19 और रूस-यूक्रेन युद्ध ने वैश्विक सप्लाई चेन को बाधित कर दिया, जिससे खाद्य पदार्थों, ईंधन और उर्वरकों की कीमतों पर असर पड़ा। वहीं, पश्चिम एशिया में चल रही उथल-पुथल ने समुद्री व्यापार को प्रभावित किया, जिससे एशिया और यूरोप के बीच व्यापार संकट में आ गया।
‘हील इन इंडिया’ पहल का समय आ गया है
भारत की सेवा और तकनीक आधारित अर्थव्यवस्था पर जोर देते हुए जयशंकर ने ‘हील इन इंडिया’ पहल को नया अवसर बताया। उन्होंने कहा, “आज टूरिज्म सिर्फ घूमने-फिरने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने का भी जरिया बन चुका है। हेल्थकेयर और मेडिकल टूरिज्म में भारत के पास असीम संभावनाएं हैं।”
विदेश मंत्री ने यह भी बताया कि भारत यूरोपीय संघ, ब्रिटेन और अमेरिका के साथ मुक्त व्यापार समझौतों (FTA) पर बातचीत कर रहा है। साथ ही, न्यूजीलैंड के साथ भी नई व्यापार वार्ताओं की शुरुआत हुई है। जयशंकर ने कहा, “आज की अनिश्चित दुनिया में भारत अपने हितों को प्राथमिकता देते हुए नए अवसर तलाश रहा है।”

- केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बिजनेस टुडे के ‘बीटी माइंडरश’ कार्यक्रम में भारत की कूटनीति पर अपनी स्पष्ट राय रखी।
- उन्होंने कहा कि भारत उन गिने-चुने देशों में से एक है, जो रूस-यूक्रेन, इजरायल-ईरान जैसे संकटों के बीच भी संवाद कायम रखता है।
- जयशंकर ने बताया कि भारत की विदेश नीति ‘सबका साथ, सबका विकास’ की सोच पर आधारित है और संतुलन बनाए रखना इसकी ताकत है।
- उन्होंने वैश्विक व्यापार और सप्लाई चेन पर रूस-यूक्रेन युद्ध और मध्य पूर्व संकट के प्रभावों को रेखांकित किया।
- ‘हील इन इंडिया’ पहल पर जोर देते हुए उन्होंने हेल्थ टूरिज्म और भारत की सेवा आधारित अर्थव्यवस्था के नए अवसरों को उजागर किया।