रूस की राजधानी मॉस्को में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के काफिले की कार में धमाका हुआ है। यह धमाका खुफिया एजेंसी FSB के मुख्यालय के बाहर हुआ। जानकारी के मुताबिक, धमाका पुतिन की लग्जरी लिमोजिन कार में हुआ, जिसके बाद इंजन में आग लग गई और अंदर तेजी से फैल गई। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि यह घटना हत्या की साजिश थी या केवल एक हादसा।
इस घटना के बाद राष्ट्रपति कार्यालय में पुतिन की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा हो गई हैं। बताया जा रहा है कि पुतिन अक्सर इस लिमोजिन कार का इस्तेमाल करते हैं। इस कार को रूस में ही बनाया गया है और पिछले साल नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन को भी पुतिन ने यही कार गिफ्ट की थी।
यूक्रेनी राष्ट्रपति का दावा: “जल्द होगी पुतिन की मौत”
धमाके के कुछ दिनों पहले, 26 मार्च को यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने पेरिस में एक इंटरव्यू के दौरान दावा किया था कि जल्द ही व्लादिमीर पुतिन की मौत हो जाएगी और यूक्रेन युद्ध खत्म हो जाएगा। उन्होंने कहा कि यह एक “फैक्ट” है और पुतिन की महत्वाकांक्षाएं सिर्फ यूक्रेन तक सीमित नहीं हैं, बल्कि पश्चिमी देशों से भी उनका सीधा टकराव हो सकता है।
कड़ी सुरक्षा में रहते हैं पुतिन
राष्ट्रपति पुतिन की सुरक्षा बेहद कड़ी रहती है। उनके बॉडीगार्ड्स खुद को “मस्किटियर्स” कहते हैं और इनमें रूस की फेडरल सिक्योरिटी फोर्स (FPS) या FSO के लोग शामिल होते हैं। इनके पास बिना किसी वारंट के तलाशी, निगरानी और गिरफ्तारी के अधिकार होते हैं।
सड़क पर चलते समय पुतिन का काफिला हथियारों से लैस रहता है। इसमें एके-47, टैंक-रोधी ग्रेनेड लॉन्चर और पोर्टेबल एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइलें शामिल होती हैं। जब पुतिन भीड़ में होते हैं तो सुरक्षा के चार घेरों में होते हैं, लेकिन इनमें से सिर्फ एक घेरा ही बॉडीगार्ड्स का दिखाई देता है।
सुरक्षा घेरों का विशेष प्रबंध
पुतिन के आसपास का दूसरा घेरा भीड़ में छिपा होता है, तीसरा घेरा भीड़ के किनारे पर रहता है और चौथे घेरे में आसपास की छतों पर स्नाइपर्स तैनात होते हैं। इतनी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद कार में ब्लास्ट होना सुरक्षा तंत्र पर सवाल खड़े कर रहा है।
फिलहाल धमाके के कारणों की जांच जारी है और रूसी खुफिया एजेंसियां इस घटना को लेकर सतर्क हो गई हैं। पुतिन की सुरक्षा को और भी मजबूत किया जा रहा है ताकि किसी भी तरह की अप्रिय घटना से बचा जा सके।