Tuesday, April 29, 2025
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इनेलो के संगठन विस्तार में परिवारवाद हावी? अभय चौटाला से अर्जुन तक, अहम पदों पर घर के ही सदस्य

हरियाणा की राजनीति में भारतीय राष्ट्रीय लोक दल (इनेलो) का संगठन विस्तार सुर्खियों में है। हालांकि, इस विस्तार को लेकर सवाल भी उठ रहे हैं—क्या इनेलो में परिवारवाद गहराता जा रहा है? पार्टी के हालिया फैसलों पर नजर डालें तो प्रमुख पदों पर चौटाला परिवार के ही सदस्य नजर आते हैं।

इनेलो संगठन में परिवारवाद की गूंज

अभय चौटाला, सुनैना चौटाला, कर्ण चौटाला और अर्जुन चौटाला—इन सभी को संगठन के महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी दी गई है। राष्ट्रीय से लेकर प्रदेश स्तर तक पार्टी की कमान परिवार के भीतर ही सिमटती दिख रही है। पार्टी नेतृत्व का तर्क है कि पुराने कार्यकर्ताओं को भी प्रमुख भूमिकाएं सौंपी गई हैं, लेकिन सवाल उठता है कि क्या यह संगठन को नई ऊर्जा देगा या फिर वंशवाद की बहस को और तेज करेगा?

क्या संगठन विस्तार से पार्टी को मिलेगा नया दमखम?

संगठन विस्तार में कुछ पुराने कार्यकर्ताओं को दोबारा मौका मिला है, जबकि कुछ को नई जिम्मेदारियां दी गई हैं। किसी जिलाध्यक्ष को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया, तो किसी को दोबारा प्रदेश प्रभारी का पद सौंपा गया। इनेलो के इस कदम को लेकर विश्लेषकों का मानना है कि इससे पार्टी को मजबूती तो मिल सकती है, लेकिन परिवारवाद का प्रभाव संगठन को अंदरूनी असंतोष की ओर भी धकेल सकता है।

हालांकि, पार्टी इसे एक रणनीतिक निर्णय बता रही है। पार्टी का मानना है कि अनुभवी कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी सौंपने से संगठन में स्थिरता बनी रहेगी और इससे नए कार्यकर्ताओं को भी प्रेरणा मिलेगी।

अर्जुन चौटाला: छात्र राजनीति से विधानसभा तक का सफर

अर्जुन चौटाला 2019 में सक्रिय राजनीति में आए। इससे पहले वे कृषि और व्यवसाय से जुड़े हुए थे। उसी वर्ष इंडियन स्टूडेंट ऑर्गेनाइजेशन (ISO) का गठन हुआ, और उन्हें इसका राष्ट्रीय प्रभारी बनाया गया।

हरियाणा के विभिन्न कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में जब भी छात्र आंदोलन हुए, अर्जुन चौटाला ने उसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। हाल ही में उन्होंने एचएयू की डॉ. दिव्या फोगाट हत्याकांड का मुद्दा विधानसभा में उठाया था। उनकी सक्रियता ने छात्र राजनीति में उनकी पहचान मजबूत की, जिसका फायदा उन्हें 2019 के विधानसभा चुनाव में मिला और वे रानियां से विधायक बने।

कोर कमेटी में हुआ फैसला या परिवार का दबदबा?

इनेलो के इस संगठनात्मक बदलाव को लेकर पार्टी नेतृत्व का कहना है कि सभी फैसले कोर कमेटी की बैठक में लिए गए हैं। ISO के प्रदेशाध्यक्ष साहिलदीप कस्वां के अनुसार, अभय चौटाला को भी कोर कमेटी की सहमति से राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया। इससे पहले वे इस पद पर नहीं थे।

हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चौटाला परिवार की पकड़ पार्टी पर पहले से ज्यादा मजबूत हो गई है। सवाल यह भी है कि क्या पार्टी इस संगठनात्मक विस्तार से हरियाणा की राजनीति में अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने में सफल होगी या नहीं? आने वाले चुनावी समीकरण और पार्टी के प्रदर्शन पर ही यह निर्भर करेगा कि इनेलो का यह कदम संगठन को मजबूत करेगा या फिर परिवारवाद के आरोपों के बोझ तले दब जाएगा।

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  1. परिवारवाद का प्रभाव: इनेलो के संगठनात्मक विस्तार में चौटाला परिवार के सदस्यों को प्रमुख पद दिए गए।
  2. महत्वपूर्ण नियुक्तियां: अभय चौटाला, सुनैना चौटाला, कर्ण चौटाला और अर्जुन चौटाला को अहम जिम्मेदारियां मिलीं।
  3. कोर कमेटी की भूमिका: पार्टी नेतृत्व का दावा कि सभी निर्णय कोर कमेटी की सहमति से लिए गए।
  4. राजनीतिक विश्लेषण: विशेषज्ञ मानते हैं कि इससे पार्टी मजबूत हो सकती है, लेकिन आंतरिक असंतोष भी बढ़ सकता है।
  5. चुनावी असर: संगठनात्मक बदलाव से इनेलो हरियाणा की राजनीति में अपनी स्थिति सुधार पाएगी या नहीं, यह आगामी चुनावों में स्पष्ट होगा।
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