नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है, जो देवी दुर्गा के छठे स्वरूप के रूप में प्रतिष्ठित हैं। यह रूप नारी शक्ति का प्रतीक है, जो न केवल कोमलता बल्कि अत्याचार और अन्याय के खिलाफ खड़ी होने की ताकत भी रखती है। महिषासुर का वध करने वाली देवी कात्यायनी ने सिद्ध कर दिया कि स्त्री जब चाहें, तो दुनिया को बदलने की ताकत रखती है। आज के समय में, यह स्वरूप महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने और सामाजिक व व्यक्तिगत संघर्षों में खड़ा होने की प्रेरणा देता है।

कात्यायनी की पूजा विधि: विधिपूर्वक पूजा से मिलती है समृद्धि और विजय
मां कात्यायनी की पूजा करने से न केवल जीवन में आ रही बाधाएं दूर होती हैं, बल्कि भक्तों को भय और शत्रुओं पर विजय भी प्राप्त होती है। इस दिन की पूजा विधि का पालन करना अत्यंत महत्व रखता है, जो न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि मानसिक शांति और आत्मविश्वास को भी बढ़ाता है।
मां कात्यायनी की पूजा का तरीका: सरल और प्रभावी विधि
- स्नान और संकल्प: प्रातः काल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा का संकल्प लें।
- मूर्ति या चित्र की स्थापना: मां कात्यायनी की मूर्ति या चित्र को पूजास्थल पर गंगाजल से शुद्ध करके स्थापित करें।
- पूजा सामग्री का अर्पण: जल, चावल, पुष्प, और रोली अर्पित करें।
- सिंदूर और वस्त्र अर्पित करें: मां को लाल रंग के वस्त्र अर्पित करें क्योंकि यह उनका प्रिय रंग है।
- प्रसाद और भोग अर्पण: गेंदा या गुलाब के फूल चढ़ाएं और गुड़ या शहद का भोग अर्पित करें।
- धूप-दीप जलाना: पूजा के दौरान धूप और दीप जलाकर मां की आरती करें और मंत्रों का जाप करें।
- कथा पाठ: मां कात्यायनी से जुड़ी कथा पढ़ें या सुनें।
- प्रसाद वितरण: पूजा के बाद प्रसाद वितरित करके व्रत का पारण करें।
मां कात्यायनी के मंत्र
- बीज मंत्र: ॐ ह्रीं कात्यायन्यै स्वाहा।
- ध्यान मंत्र: चन्द्रहासोज्ज्वल कराऽशार्दूलवर वाहन कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानव घातिनी।
- कात्यायनी महामंत्र: कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीश्वरी। नन्दगोपसुतं देवि पतिं मे कुरु ते नमः।