लोकसभा में बुधवार देर रात वक्फ संशोधन बिल को पास कर दिया गया। यह बिल कई बदलावों के साथ आया, जिसमें सबसे अहम प्रावधान ‘वक्फ बाय यूजर’ को हटाना शामिल है। सरकार का कहना है कि इससे वक्फ संपत्तियों का सही तरीके से रिकॉर्ड रखा जा सकेगा, जबकि विपक्ष और मुस्लिम संगठन इसे धार्मिक स्थलों के लिए खतरा बता रहे हैं।
क्या था ‘वक्फ बाय यूजर’ और सरकार ने इसे क्यों हटाया?
वक्फ बाय यूजर की व्यवस्था के तहत अगर कोई संपत्ति लंबे समय से मस्जिद, कब्रिस्तान या दरगाह के रूप में इस्तेमाल हो रही थी, तो उसे वक्फ संपत्ति माना जाता था, भले ही उसके कानूनी दस्तावेज न हों। लेकिन नए कानून के तहत अब सिर्फ वही संपत्तियां वक्फ मानी जाएंगी, जिनके पास लिखित दस्तावेज या वसीहत मौजूद हों। सरकार का दावा है कि इस कदम से अवैध कब्जों पर रोक लगेगी और कानूनी पारदर्शिता बढ़ेगी।
जमीन पर कब्जों को लेकर क्यों उठे सवाल?
सरकार का कहना है कि वक्फ बोर्ड बिना दस्तावेजों के जमीनों पर दावा करता था, जिससे कई विवाद पैदा हुए। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने संसद में कहा कि अब सिर्फ मौखिक दावे के आधार पर किसी संपत्ति को वक्फ घोषित नहीं किया जा सकता। वहीं, बीजेपी सांसद राधा मोहन दास अग्रवाल ने इस प्रावधान का समर्थन करते हुए कहा कि ‘जिस तरह फिल्मों में विलेन हाथ रख देते थे और चीजें उनकी हो जाती थीं, उसी तरह वक्फ बाय यूजर का दुरुपयोग किया जा रहा था।’
विपक्ष और मुस्लिम संगठनों की नाराजगी
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इस प्रावधान को हटाने पर कड़ा विरोध जताया है। कांग्रेस सांसद सैयद नासिर हुसैन ने कहा कि ‘सैकड़ों साल पुरानी मस्जिदों के दस्तावेज कहां से लाए जाएंगे? सिर्फ इस्तेमाल का इतिहास ही इसका सबूत है।’ मुस्लिम संगठनों का मानना है कि इससे कई धार्मिक स्थलों पर संकट आ सकता है, क्योंकि पुराने धार्मिक स्थलों के कानूनी दस्तावेजों की अनुपलब्धता के चलते उन्हें वक्फ संपत्तियों की सूची से बाहर किया जा सकता है।
अब आगे क्या?
सरकार का कहना है कि अब वक्फ संपत्तियों को ‘वक्फ बाय डीड’ के तहत रजिस्टर कराना होगा और हर संपत्ति को आधिकारिक पोर्टल पर छह महीने के अंदर दर्ज किया जाएगा। राज्यसभा में इस बिल पर चर्चा जारी है और इसके पारित होने के बाद यह कानून का रूप ले लेगा। हालांकि, इस प्रावधान को लेकर राजनीतिक और सामाजिक बहस अभी थमने के आसार नहीं दिख रहे हैं।

- लोकसभा में पारित: वक्फ संशोधन बिल बुधवार देर रात लोकसभा से पास हुआ, राज्यसभा में चर्चा जारी।
- ‘वक्फ बाय यूजर’ खत्म: सरकार ने पुराने प्रावधान को हटाया, अब सिर्फ दस्तावेज वाली संपत्तियां ही वक्फ में शामिल।
- विपक्ष का विरोध: कांग्रेस और मुस्लिम संगठनों ने इसे धार्मिक स्थलों के लिए खतरा बताया।
- सरकार का तर्क: वक्फ बोर्ड के अवैध दावों पर रोक लगेगी, संपत्तियों की पारदर्शी रजिस्ट्रेशन व्यवस्था बनेगी।
- आगे की राह: राज्यसभा में बहस जारी, पारित होने पर नया कानून लागू होगा।