Monday, April 28, 2025
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लोकसभा के बाद राज्य सभा से भी पास हुआ वक्फ संशोधन बिल, 128 सांसदों का समर्थन मिला, अब राष्ट्रपति की मंजूरी बाकी

संसद के दोनों सदनों में करीब 25 घंटे तक चली गहन बहस के बाद वक्फ संशोधन बिल गुरुवार देर रात राज्यसभा से भी पास हो गया। इस अहम बिल के पक्ष में 128 और विरोध में 95 वोट पड़े। इससे पहले यह विधेयक लोकसभा में 12 घंटे की चर्चा के बाद पारित हुआ था। अब यह राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा, जिसके बाद यह कानून का रूप ले लेगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बिल को “एक बड़ा सुधार” करार देते हुए कहा कि यह गरीब और पिछड़े मुस्लिम समुदायों के अधिकारों की सुरक्षा करेगा और वक्फ प्रबंधन में पारदर्शिता बढ़ाएगा। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “यह कदम सामाजिक न्याय की दिशा में एक और महत्वपूर्ण प्रयास है।”

पारदर्शिता और जवाबदेही लाने की कोशिश : रिजिजू

बिल पर चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि यह विधेयक वक्फ संपत्ति की निगरानी और मुतवल्लियों के प्रशासन को प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए लाया गया है।

उन्होंने बताया कि 2006 में देश में करीब 4.9 लाख वक्फ संपत्तियाँ थीं, जिनसे मात्र 163 करोड़ रुपये की सालाना आय होती थी। 2013 में संशोधन के बावजूद यह आय केवल तीन करोड़ बढ़ी। आज वक्फ संपत्तियों की संख्या 8.72 लाख हो चुकी है, लेकिन आय के अनुपात में कोई खास इजाफा नहीं हुआ। मंत्री रिजिजू ने बताया कि 31 हजार से अधिक वक्फ विवाद अदालतों में लंबित हैं, जिसके समाधान के लिए वक्फ ट्रिब्यूनल को मजबूत किया गया है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि कोर्ट में विचाराधीन मामलों पर यह कानून लागू नहीं होगा, लेकिन जो विवाद निपट चुके हैं, उनके लिए इसमें स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए गए हैं।

उन्होंने कहा कि मंजूर होने के बाद नया कानून — “उम्मीद (Unified Waqf Management Empowerment, Efficiency and Development Act)” कहलाएगा।

विपक्ष का आरोप : बिल मुसलमानों के हित में नहीं

राज्यसभा में विपक्ष ने इस बिल को लेकर तीखा विरोध दर्ज किया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सवाल किया कि यह स्पष्ट नहीं किया गया कि वक्फ संपत्तियाँ किन्हें दी जाएंगी। उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “क्या यह जमीनें बड़े व्यापारिक घरानों को दी जाएंगी? यह बिल मुसलमानों के हित में नहीं है और संविधान के खिलाफ है।”

आरजेडी सांसद मनोज झा ने कहा कि “बहुमत होना लोकतंत्र की गारंटी नहीं है।” उन्होंने सद्भावना और आपसी समझ की परंपरा को बचाए रखने की अपील करते हुए सरकार से इस बिल को वापस लेने का अनुरोध किया।

भाजपा की दलील: पारदर्शिता और जवाबदेही का कानून

भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने वक्फ बोर्ड पर पूर्व में ताजमहल जैसे ऐतिहासिक स्मारकों पर दावा करने की घटनाओं का हवाला देते हुए कहा कि ऐसी मानसिकता पर रोक जरूरी है।
उन्होंने कहा कि अब कोई भी वक्फ संपत्ति घोषित नहीं कर सकता जो राष्ट्रीय धरोहर या ASI के अधीन हो।

जेपी नड्डा ने जोर देते हुए कहा कि 2013 की तुलना में मोदी सरकार द्वारा गठित संयुक्त समिति में अधिक सदस्य शामिल किए गए, जिससे लोकतांत्रिक विमर्श को व्यापक आधार मिला। उन्होंने कहा कि संसद में बहस तर्क और प्रमाण पर आधारित होनी चाहिए, न कि भावनाओं पर।

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