कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने करौली जिले के गढ़मोरा गांव में स्वतंत्रता सेनानी धनसिंह कोतवाल और अपने पिता राजेश पायलट की मूर्तियों का अनावरण किया। इसके बाद आयोजित किसान सम्मेलन में उन्होंने क्षेत्र के ग्रामीणों, किसानों और युवाओं को संबोधित करते हुए वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों और सरकारी नीतियों पर विस्तार से बात की। इस मौके पर क्षेत्रीय सांसद, विधायक और कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता भी मौजूद रहे।
वक्फ बिल और मणिपुर मुद्दे पर उठाए सवाल
पायलट ने अपने संबोधन में राजनीति और फौज के बीच के फर्क को समझाते हुए कहा कि फौज में बात सीधी और स्पष्ट होती है, लेकिन राजनीति में यह उल्टा खेल है, जहां कोई भी खुलकर ‘ना’ नहीं कह सकता। उन्होंने इस मंच से वक्फ बिल की टाइमिंग और मणिपुर में रात 2 बजे लगाए गए राष्ट्रपति शासन पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि अमेरिका द्वारा टैरिफ बढ़ाने से भारत का निर्यात और उद्योग कमजोर हुआ है।
‘जनता सब देख रही है
सचिन पायलट ने मौजूदा सत्ताधारी दलों की नीतियों और फैसलों पर निशाना साधते हुए कहा कि जनता अब बहुत जागरूक है। सत्ता में होना सुविधाजनक हो सकता है, लेकिन विपक्ष में भी देश को दिशा देने की जिम्मेदारी होती है। उन्होंने सवाल किया कि क्या आज की राजनीति लोगों को जोड़ने की हो रही है या उन्हें तोड़ने की, क्या यह अवसर देने की राजनीति है या दबाने की—जनता सब देख रही है।

- कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने करौली के गढ़मोरा में राजेश पायलट और धनसिंह कोतवाल की मूर्तियों का अनावरण किया।
- इसके बाद उन्होंने किसान सम्मेलन को संबोधित करते हुए सरकार की नीतियों पर प्रखर सवाल उठाए और किसानों-युवाओं के अधिकारों की बात की।
- उन्होंने कहा कि राजनीति में आज संवाद की पारदर्शिता खत्म हो रही है, जबकि जनता अब जागरूक और सवाल पूछने वाली है।
- मणिपुर में रात दो बजे राष्ट्रपति शासन और वक्फ बिल पर उन्होंने समय और मंशा पर सवाल उठाए।
- कार्यक्रम में सांसद मुरारी लाल मीणा समेत कई वरिष्ठ नेता और हजारों ग्रामीण शामिल हुए। पायलट का संदेश स्पष्ट था—राजनीति सेवा का माध्यम होनी चाहिए, ना कि विभाजन का।