तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने हिंदी पर कई क्षेत्रीय भाषाओं को खत्म करने का आरोप लगाया, जिस पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने स्टालिन पर समाज को बांटने का आरोप लगाया और राहुल गांधी के रुख पर भी सवाल उठाया। स्टालिन ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति का विरोध करते हुए इसे हिंदी और संस्कृत को बढ़ावा देने वाला बताया।
नेशनल ब्रेकिंग: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव के बीच हिंदी को लेकर बयानबाजी तेज हो गई है। स्टालिन के इस दावे कि हिंदी ने कई क्षेत्रीय भाषाओं को निगल लिया है, पर वैष्णव ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
अश्विनी वैष्णव का पलटवार
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एमके स्टालिन के बयान को री-पोस्ट करते हुए कहा कि ऐसे बयानों से समाज को बांटने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर भी सवाल उठाया, जो हिंदी भाषी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। वैष्णव ने कहा, “यह जानना दिलचस्प होगा कि राहुल गांधी इस विषय पर क्या कहते हैं। क्या वे इस बयान से सहमत हैं?”
स्टालिन का दावा: हिंदी ने कई भाषाओं को किया खत्म
एमके स्टालिन ने अपने पोस्ट में आरोप लगाया कि हिंदी के कारण कई भारतीय भाषाएं अस्तित्व के संकट से जूझ रही हैं। उन्होंने भोजपुरी, मैथिली, अवधी, ब्रज, बुंदेली, गढ़वाली, कुमाऊंनी, मगही, मारवाड़ी, और छत्तीसगढ़ी जैसी भाषाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि ये भाषाएं अब खत्म होने की कगार पर हैं। स्टालिन ने लिखा, “उत्तर प्रदेश और बिहार कभी भी सिर्फ हिंदी प्रदेश नहीं रहे। उनकी वास्तविक भाषाएं अब अतीत का हिस्सा बन रही हैं।”
स्टालिन का पार्टी कार्यकर्ताओं को संदेश
स्टालिन ने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को भी एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने हिंदी के थोपे जाने का विरोध करने की बात कही। उन्होंने दावा किया कि हिंदी और संस्कृत के बढ़ते प्रभुत्व ने उत्तर भारत की कई मूल भाषाओं को खत्म कर दिया है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर आपत्ति
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) पर भी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि NEP के माध्यम से हिंदी और संस्कृत को बढ़ावा देने की कोशिश की जा रही है, जिससे क्षेत्रीय भाषाएं खतरे में पड़ सकती हैं।