कर्नाटक हाईकोर्ट ने देशभर में यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code – UCC) लागू करने की वकालत की है। कोर्ट का मानना है कि इससे सभी नागरिकों को, खासकर महिलाओं को समानता का अधिकार मिलेगा।
यह टिप्पणी जस्टिस हंचाटे संजीव कुमार की सिंगल बेंच ने एक पारिवारिक संपत्ति विवाद की सुनवाई के दौरान की। यह मामला मुस्लिम महिला शहनाज बेगम की मौत के बाद उनकी संपत्ति के बंटवारे को लेकर था, जिसमें उनके भाई, बहन और पति के बीच विवाद खड़ा हो गया।
मुस्लिम पर्सनल लॉ पर उठाए सवाल
कोर्ट ने स्पष्ट तौर पर कहा कि कुछ पर्सनल लॉ महिलाओं के साथ भेदभाव करते हैं, जो कि संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) के खिलाफ है।
जस्टिस कुमार ने मुस्लिम और हिंदू पर्सनल लॉ की तुलना करते हुए कहा कि जहां हिंदू कानून में बेटियों को पैतृक संपत्ति में बराबर का हक मिला है, वहीं मुस्लिम कानून में बहनों को कम हिस्सा दिया जाता है। इस असमानता को लेकर कोर्ट ने गहरी चिंता जताई।
गोवा और उत्तराखंड का उदाहरण पेश
कोर्ट ने अपने आदेश में गोवा और उत्तराखंड का उदाहरण देते हुए बताया कि ये राज्य पहले ही यूनिफॉर्म सिविल कोड की दिशा में कदम बढ़ा चुके हैं। ऐसे में अब केंद्र और बाकी राज्यों को भी आगे आकर एक समान नागरिक कानून की दिशा में ठोस प्रयास करने चाहिए।
संविधान निर्माताओं का भी रहा समर्थन
जस्टिस कुमार ने अपने निर्णय में डॉ. भीमराव अंबेडकर, सरदार पटेल और डॉ. राजेंद्र प्रसाद जैसे राष्ट्रनिर्माताओं के विचारों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि ये सभी नेता एक समान नागरिक संहिता के समर्थक थे। उनका मानना था कि राष्ट्रीय एकता और सामाजिक समानता के लिए UCC आवश्यक है।
संपत्ति विवाद में क्या रहा फैसला?
शहनाज बेगम की दो संपत्तियों को लेकर उनके भाई-बहन और पति के बीच विवाद था। भाई-बहनों का दावा था कि ये संपत्तियां शहनाज की खुद की कमाई से खरीदी गई थीं, इसलिए सबको बराबर हिस्सा मिलना चाहिए। दूसरी ओर, पति का कहना था कि संपत्तियां उनकी और शहनाज की संयुक्त कमाई से खरीदी गई थीं।
कोर्ट ने सबूतों की जांच के बाद यह माना कि संपत्तियां पति-पत्नी की साझा कमाई से ली गई थीं, चाहे वो शहनाज के नाम पर क्यों न हों। इसी आधार पर कोर्ट ने अंतिम फैसला सुनाते हुए पति को कुल संपत्ति का 3/4 हिस्सा, दो भाइयों को 1/10-1/10 और बहन को 1/20वां हिस्सा देने का आदेश दिया।

- कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक संपत्ति विवाद मामले में Uniform Civil Code (UCC) को जरूरी बताते हुए केंद्र और राज्य सरकारों से कानून बनाने की अपील की।
- कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ महिलाओं के साथ भेदभाव करता है, जो संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।
- फैसले में हिंदू और मुस्लिम कानूनों के बीच असमानता पर चिंता जताई गई और महिलाओं के बराबरी के अधिकार की आवश्यकता पर बल दिया गया।
- गोवा और उत्तराखंड का उदाहरण देते हुए कोर्ट ने कहा कि अन्य राज्यों को भी समान नागरिक कानून लागू करने की दिशा में कदम उठाना चाहिए।
- कोर्ट ने संपत्ति विवाद में पति को 3/4 हिस्सा, दो भाइयों को 1/10-1/10, और बहन को 1/20 हिस्सा देने का आदेश दिया।