चैत्र शुक्ल पक्ष की एकादशी, जिसे कामदा एकादशी कहा जाता है, इस वर्ष 8 अप्रैल 2025 को पड़ रही है। यह एकादशी न केवल हिंदू नववर्ष की पहली एकादशी है, बल्कि आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टि से भी अत्यंत फलदायक मानी जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और उपवास करने से पापों का नाश होता है तथा मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
शुभ योग और पूजन का श्रेष्ठ समय
इस वर्ष कामदा एकादशी पर रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बन रहा है, जिससे यह दिन और भी विशेष बन जाता है। पूजा का उत्तम समय अभिजीत मुहूर्त में रहेगा, जो सुबह 11:58 से 12:48 तक रहेगा। इस समय भगवान विष्णु की पूजा तुलसी, पीले पुष्प, दीप और फलाहार से की जाती है।
कामदा एकादशी व्रत की विधि
कामदा एकादशी का व्रत लेने वाले भक्तों को एक दिन पहले सात्विक आहार लेना चाहिए। एकादशी के दिन स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें, फिर दिनभर उपवास रखें। निर्जल व्रत रखने वाले भक्तों के लिए यह दिन विशेष पुण्यदायक माना गया है। रात में जागरण, भजन, और कीर्तन करना चाहिए। अगले दिन द्वादशी पर किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद को भोजन कराकर व्रत पूर्ण करें।
धार्मिक कथा: ललित और लैवण्यवती की श्रद्धा
कामदा एकादशी की कथा के अनुसार, रत्नपुर राज्य में ललित नामक गंधर्व अपनी पत्नी लैवण्यवती के साथ रहता था। एक दिन दरबार में गलती करने पर राजा ने उसे राक्षस योनि में जन्म लेने का श्राप दे दिया। दुखी लैवण्यवती ने ऋषि श्रृंगी से मार्गदर्शन लिया और उन्होंने कामदा एकादशी का व्रत करने की सलाह दी। लैवण्यवती ने श्रद्धापूर्वक व्रत किया और इस व्रत के पुण्य से ललित को श्राप से मुक्ति मिल गई।
व्रत के लाभ और मान्यता
कामदा एकादशी व्रत से व्यक्ति को वाजपेय यज्ञ जितना पुण्य प्राप्त होता है। इस व्रत से पारिवारिक सुख-शांति, समृद्धि, और पिशाच दोष जैसे प्रभावों से मुक्ति मिलती है। धार्मिक ग्रंथों में इसका विशेष महत्व बताया गया है और यह व्रत आध्यात्मिक शुद्धि और आत्म कल्याण का साधन माना जाता है।

- कामदा एकादशी, हिंदू नववर्ष की पहली एकादशी मानी जाती है और इस बार यह 8 अप्रैल 2025 को मनाई जा रही है।
- इस दिन रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग जैसे शुभ संयोग बन रहे हैं, जिससे व्रत का महत्व और बढ़ जाता है।
- अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:58 से 12:48 तक रहेगा, जिसमें भगवान विष्णु की पूजा करना विशेष फलदायक माना गया है।
- कामदा एकादशी पर व्रत रखने से पापों का नाश, मनोकामनाओं की पूर्ति और अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
- व्रत कथा के अनुसार, एक गंधर्व को राक्षस योनि से मुक्ति कामदा एकादशी व्रत के पुण्य प्रभाव से मिली थी।