जयपुर में 2008 को हुए भीषण सीरियल बम धमाकों के मामले में मंगलवार को कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया। इन धमाकों के बाद चांदपोल बाजार में जिंदा बम मिलने के मामले में दोषी करार दिए गए चार आतंकियों – सैफुर्रहमान, मोहम्मद सैफ, मोहम्मद सरवर आजमी और शाहबाज अहमद को स्पेशल कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। इस फैसले ने 17 साल से न्याय की आस लगाए पीड़ित परिवारों को राहत दी है।
कोर्ट में आतंकियों का बेशर्म व्यवहार
कोर्ट में जब सजा सुनाई जा रही थी, तब आतंकी किसी तरह का पछतावा दिखाने की बजाय हंसते नजर आए। यह बर्ताव पीड़ितों और समाज के लिए किसी सदमे से कम नहीं था। जज रमेश कुमार जोशी ने फैसले के दौरान शायरी के माध्यम से न्याय का संदेश दिया, जो अब सोशल मीडिया पर चर्चा में है।
धमाकों के पीछे की साजिश
13 मई 2008 को जयपुर में 8 सिलसिलेवार धमाके हुए थे, जिनमें 71 लोग मारे गए और 185 घायल हुए। बम फटने से ठीक पहले चांदपोल बाजार में मिला एक जिंदा बम सुरक्षा एजेंसियों द्वारा डिफ्यूज कर दिया गया था। जांच में सामने आया कि आरोपियों ने रैकी कर बम प्लांट किए थे और धमाकों की जिम्मेदारी इंडियन मुजाहिदीन के नाम से ली गई थी।
हाईकोर्ट ने सुनाई थी राहत, अब फिर मिली सजा
इससे पहले इन आतंकियों में से कुछ को फांसी की सजा भी सुनाई जा चुकी थी, लेकिन हाईकोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया था। हालांकि, राज्य सरकार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। अब जिंदा बम केस में इन चारों को उम्रकैद की सजा दी गई है।
जांच और गवाही से मजबूत हुई केस की नींव
राजस्थान एटीएस ने इस मामले में 25 दिसंबर 2019 को आरोपियों को गिरफ्तार किया और फिर सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की। इस केस में 112 गवाहों के बयान दर्ज किए गए, जिनमें पत्रकार प्रशांत टंडन, पूर्व एडीजी अरविंद कुमार और स्थानीय साइकिल मैकेनिक दिनेश महावर शामिल थे। यही गवाही न्याय की दिशा में निर्णायक साबित हुई।

- 2008 के जयपुर सीरियल ब्लास्ट में 71 लोगों की मौत और 185 घायल हुए थे।
- चांदपोल बाजार में मिला था जिंदा बम, जिसे समय रहते डिफ्यूज किया गया था।
- चार आतंकियों – सैफुर्रहमान, सैफ, सरवर आजमी और शाहबाज को उम्रकैद की सजा दी गई।
- कोर्ट ने 600 पेज का फैसला सुनाया, जिसमें 112 गवाहों की गवाही शामिल थी।
- आतंकियों ने कोर्ट में कोई पछतावा नहीं दिखाया, बल्कि मुस्कुराते नजर आए।