अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और 2024 के रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प ने एक बार फिर वैश्विक व्यापार नीतियों को हिला देने वाला बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि अमेरिका जल्द ही विदेशी दवाओं पर भारी टैरिफ लगाने जा रहा है। ट्रम्प का मानना है कि इस फैसले से दवा कंपनियों को मजबूरन अमेरिका लौटना पड़ेगा और घरेलू फार्मा इंडस्ट्री को बढ़ावा मिलेगा।
ट्रम्प ने यह भी आरोप लगाया कि कई देश दवा कंपनियों पर कीमतें कम करने का दबाव बनाते हैं, जिससे वे अमेरिका की तुलना में सस्ती दवाएं वहां बेचते हैं। उन्होंने कहा, “जब हम इन पर टैरिफ लगाएंगे, तो वे सब अमेरिका लौट आएंगे।”
भारत की फार्मा इंडस्ट्री को झटका लग सकता है
अमेरिका, जो दुनिया का सबसे बड़ा दवा खरीदार है, वहां भारतीय फार्मा कंपनियां हर साल 40% से ज्यादा जेनेरिक दवाएं निर्यात करती हैं। ऐसे में अगर ट्रम्प की यह नीति लागू होती है, तो भारत की जेनेरिक दवा इंडस्ट्री पर सीधा असर पड़ सकता है।
फाइनेंशियल सर्विस कंपनी Citi का अनुमान है कि अगर टैरिफ का 50% बोझ मरीजों तक पहुंचाया गया, तो कंपनियों की आय (EBITDA) पर 1% से 7% तक का असर हो सकता है।
“लंदन में 88 डॉलर की दवा, अमेरिका में 1300 डॉलर”
अपने बयान में ट्रम्प ने एक चौंकाने वाली तुलना भी पेश की। उन्होंने कहा, “लंदन में एक दवा की कीमत 88 डॉलर है, वही अमेरिका में 1300 डॉलर में मिलती है। यह अस्वीकार्य है और अब खत्म होगा।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि अमेरिका एक बड़ा बाजार है, और कंपनियों को अगर इस बाजार में बने रहना है, तो उन्हें या तो अमेरिका में उत्पादन करना होगा या भारी टैक्स चुकाना पड़ेगा।
अभी तक दवाओं को टैरिफ से छूट
हालांकि, अभी तक अमेरिका ने दवाओं पर कोई टैरिफ नहीं लगाया है। 2 अप्रैल को ट्रम्प ने “लिबरेशन डे” टैरिफ की घोषणा की थी, जिसमें 5 अप्रैल से सभी देशों पर 10% बेसलाइन टैरिफ और 9 अप्रैल से रेसिप्रोकल टैरिफ लागू हुए। लेकिन इन टैरिफों में फार्मा सेक्टर को छूट दी गई थी।
वर्तमान में अमेरिका ने भारत से आयात होने वाले अन्य सामानों पर 26% टैरिफ लगाया है, जो 9 अप्रैल से लागू हो चुका है, लेकिन दवाएं इस दायरे से बाहर हैं — अभी तक।
क्या हैं जेनेरिक दवाएं और क्यों हैं भारत की ताकत?
जेनेरिक दवाएं किसी ब्रांडेड दवा की कॉपी होती हैं, जिनका रासायनिक फॉर्मूला वही रहता है, लेकिन पैकेजिंग और नाम अलग होता है। इनका निर्माण तब शुरू होता है जब मूल दवा का पेटेंट खत्म हो जाता है।
भारत दुनिया का सबसे बड़ा जेनेरिक दवा उत्पादक देश है, और अमेरिका जैसे देशों की स्वास्थ्य लागत को कम करने में इसकी बड़ी भूमिका रही है।
अमेरिका की USFDA और भारत की CDSCO जैसी एजेंसियां इन दवाओं को मंजूरी देती हैं। अमेरिकी डॉक्टर करीब 90% मामलों में जेनेरिक दवाएं ही लिखते हैं।

- अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दवाओं पर टैरिफ लगाने की योजना की घोषणा की है।
- ट्रम्प का दावा है कि इससे विदेशी फार्मा कंपनियां अमेरिका लौटेंगी और घरेलू इंडस्ट्री को बढ़ावा मिलेगा।
- भारत अमेरिका को हर साल 40% से अधिक जेनेरिक दवाएं निर्यात करता है, जिससे भारत की फार्मा इंडस्ट्री पर असर संभव है।
- ट्रम्प ने दवाओं की कीमतों में अंतर बताते हुए कहा, “लंदन में 88 डॉलर की दवा अमेरिका में 1300 डॉलर में बिकती है।”
- अभी तक अमेरिकी टैरिफ पॉलिसी में दवा सेक्टर को छूट थी, लेकिन अब बदलाव की संभावना जताई गई है।