अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने वैश्विक ट्रेड संबंधों में एक बड़ा फैसला लेते हुए 75 से ज्यादा देशों पर लागू रेसिप्रोकल टैरिफ यानी जैसे को तैसा शुल्क नीति को 90 दिनों के लिए अस्थायी रूप से रोक दिया है। इस कदम का सीधा मकसद व्यापारिक तनाव को कम करना और नए व्यापार समझौतों की दिशा में संवाद के लिए समय जुटाना है।
हालांकि इस राहत सूची में चीन को शामिल नहीं किया गया है। बल्कि चीन पर पहले से लागू 104% टैरिफ को बढ़ाकर 125% कर दिया गया है। ट्रम्प के इस रुख को चीन की तरफ से की गई जवाबी 84% टैरिफ वृद्धि के जवाब में देखा जा रहा है।
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा, “चीन ने ग्लोबल मार्केट के लिए सम्मान नहीं दिखाया, इसलिए अब वक्त है उन्हें समझाने का कि अमेरिका को लूटने के दिन लद गए।”
टैरिफ विराम से वैश्विक बाजारों में राहत की लहर
ट्रंप के इस फैसले के बाद अमेरिकी शेयर बाजारों में भारी तेजी देखने को मिली।
- डॉऊ जोंस इंडस्ट्रियल एवरेज में 2,600 अंकों (7.1%) की बढ़त दर्ज की गई।
- S&P 500 में 9.5% का उछाल आया,
- जबकि नैस्डैक 1536 अंक (10.3%) चढ़ा—यह 2008 की मंदी के बाद अब तक की सबसे बड़ी तेजी मानी जा रही है।
टेक्नोलॉजी और इलेक्ट्रिक व्हीकल सेक्टर की दिग्गज कंपनियों में भी भारी खरीदारी देखी गई:
- टेस्ला के शेयरों में 20.01% की उछाल आई,
- एपल और एनवीडिया जैसे स्टॉक्स ने भी निवेशकों को शानदार रिटर्न दिया।
- वहीं, बिटकॉइन में भी 6% की वृद्धि दर्ज की गई।
अमेरिकी वित्त मंत्रालय का रुख और व्यापारिक संकेत
वित्त मंत्री स्कॉट बेसेन्ट ने स्पष्ट किया कि जो देश अमेरिका के साथ बातचीत करने को तैयार हैं, उनके लिए टैरिफ दर 10% तक कम की जा सकती है। इसके तहत कनाडा और मेक्सिको के कुछ उत्पादों पर 25% टैरिफ से राहत मिल गई है। हालांकि यूरोपीय यूनियन को लेकर स्थिति अभी स्पष्ट नहीं की गई है।
यह फैसला ऐसे समय में आया है जब वैश्विक निवेशक टैरिफ वॉर के प्रभावों को लेकर चिंतित थे। ट्रंप ने टैरिफ रोकने की घोषणा से ठीक पहले ट्रुथ सोशल पर लिखा,
“This is a great time to buy” — जिससे बाजारों में पॉजिटिव सेंटीमेंट की शुरुआत हो गई।
चीन पर सख्ती क्यों?
ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेन्ट ने कहा कि जिन देशों ने अमेरिका के खिलाफ ट्रेड वॉर में आक्रामक रुख नहीं अपनाया, उन्हें टैरिफ रियायत दी जा रही है। लेकिन चीन ने जब अमेरिका पर टैरिफ को 34% से बढ़ाकर 84% कर दिया, तो ट्रंप प्रशासन ने पलटवार करते हुए चीन पर 125% टैरिफ लगाने का निर्णय लिया।