ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने केंद्र सरकार के नए वक्फ कानून के विरोध में ‘वक्फ बचाओ, संविधान बचाओ’ नामक एक राष्ट्रव्यापी अभियान की शुरुआत की है। यह अभियान शुक्रवार, 11 अप्रैल से शुरू होकर 7 जुलाई तक चलेगा, यानी कुल 87 दिन। इस दौरान बोर्ड देशभर से एक करोड़ लोगों के हस्ताक्षर जुटाएगा, जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपा जाएगा।
AIMPLB महासचिव मौलाना फजलुर रहीम मुजद्दिदी ने एक वीडियो संदेश में बताया कि यह आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक होगा। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार इस कानून के जरिए सांप्रदायिक एजेंडा चला रही है और देश की धर्मनिरपेक्षता को कमजोर कर रही है।
वक्फ कानून के खिलाफ AIMPLB की आपत्तियाँ
AIMPLB का कहना है कि नया वक्फ विधेयक वक्फ संपत्तियों की स्वायत्तता और इस्लामी मूल्यों को नुकसान पहुंचाता है। बोर्ड का मानना है कि यह विधेयक शरीयत, धार्मिक स्वतंत्रता और भारतीय संविधान की मूलभावनाओं के विरुद्ध है। इसी वजह से इसे पूरी तरह निरस्त करने की मांग की जा रही है।
बोर्ड ने इस अभियान को शाह बानो मामले (1985) की तरह व्यापक जन आंदोलन बनाने की बात कही है। उस दौर में भी देशभर में व्यापक जनजागरूकता और आंदोलन हुए थे, जिससे सरकार को अपने निर्णय पर पुनर्विचार करना पड़ा था।
महिलाएं होंगी सक्रिय, संयम बरतने की अपील
AIMPLB की महिला शाखा इस आंदोलन को जमीनी स्तर पर मजबूत बनाने के लिए देशभर में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करेगी। साथ ही, बोर्ड ने समुदाय से संयम और शांतिपूर्ण तरीके से विरोध दर्ज कराने की अपील की है, ताकि आंदोलन की नैतिकता और उद्देश्य पर कोई सवाल न उठे।
महत्वपूर्ण कार्यक्रमों की रूपरेखा
- 22 अप्रैल: दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में ‘तहफ्फुज-ए-औकाफ कारवां’ नाम से बड़ा आयोजन किया जाएगा।
- 30 अप्रैल: रात 9 बजे देशभर में ‘ब्लैकआउट’ प्रदर्शन, घरों और कार्यालयों की लाइट आधे घंटे के लिए बंद रखी जाएगी।
- 7 मई: दिल्ली के रामलीला मैदान में एक और विशाल विरोध कार्यक्रम आयोजित होगा।
जमीन से जुड़ी विरोध गतिविधियां
हर जुमे की नमाज के बाद मानव श्रृंखला बनाई जाएगी, साथ ही राज्य की राजधानियों और जिला मुख्यालयों पर धरने, प्रतीकात्मक गिरफ्तारियां और राष्ट्रपति व गृह मंत्री को ज्ञापन सौंपने की योजनाएं भी बनाई गई हैं।
देश के 50 प्रमुख शहरों में प्रेस कॉन्फ्रेंस और बुद्धिजीवियों के साथ बैठकें की जाएंगी, जिनमें वक्फ कानून के संभावित प्रभावों पर चर्चा होगी।
कुछ संगठनों का समर्थन भी मिला कानून को
जहां AIMPLB और उसके सहयोगी संगठन इस विधेयक को मुस्लिम समुदाय के विरुद्ध बता रहे हैं, वहीं ऑल इंडिया वुमेन मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड जैसे कुछ मुस्लिम संगठन इस कानून का समर्थन कर रहे हैं। उनकी अध्यक्ष शाइस्ता अंबर ने इसे गरीब मुस्लिमों और महिलाओं के हित में बताया है, साथ ही दावा किया कि इससे वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जों को हटाने में मदद मिलेगी।
सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंचा मामला, सुनवाई तय
इस विधेयक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कुल 17 याचिकाएं दाखिल की गई हैं, जिनमें से 10 याचिकाएं अब सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की गई हैं। 16 अप्रैल को चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच इन मामलों की सुनवाई करेगी। याचिकाकर्ताओं में राजनीतिक दलों, सांसदों, सामाजिक संगठनों और निजी संस्थाओं के नाम शामिल हैं।

- AIMPLB ने 11 अप्रैल से 87 दिनों तक चलने वाला ‘वक्फ बचाओ अभियान’ शुरू किया है, जिसका उद्देश्य नए वक्फ कानून को रद्द कराना है।
- इस अभियान में 1 करोड़ हस्ताक्षर इकट्ठे किए जाएंगे, जो प्रधानमंत्री को सौंपे जाएंगे। इसे शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से चलाया जाएगा।
- 22 अप्रैल को दिल्ली में ‘तहफ्फुज-ए-औकाफ कारवां’, 30 अप्रैल को देशभर में ब्लैकआउट, और 7 मई को रामलीला मैदान में बड़ा कार्यक्रम होगा।
- AIMPLB इसे शाह बानो केस की तर्ज पर एक जनांदोलन में बदलना चाहता है और मुस्लिम समुदाय से संयम बनाए रखने की अपील की है।