राजस्थान के कोटपूतली में मुख्य सचिव सुधांश पंत के दौरे को लेकर प्रशासनिक सतर्कता तो चरम पर थी, लेकिन इस सतर्कता ने आम जनता के भीतर असंतोष की आग भड़का दी। दौरे से पहले सड़कों की रातोंरात मरम्मत और डिवाइडरों पर पौधारोपण जैसे काम किए गए, लेकिन इस पूरी कवायद को आमजन और मीडिया से पूरी तरह छुपाकर रखा गया। यही गोपनीयता प्रशासन और जनता के बीच विवाद की जड़ बन गई।
सीएस से मिलने पहुंचे ग्रामीणों को रोका गया
ग्रामीण जब अपनी मांगों और समस्याओं के ज्ञापन के साथ मुख्य सचिव से मिलने पहुंचे, तो उन्हें कलेक्ट्रेट के गेट पर ही रोक दिया गया। आरोप है कि कई संगठनों के प्रतिनिधियों को भीतर बुलाकर एक कमरे में बैठा दिया गया, जबकि सीएस वहां से बिना किसी मुलाकात के रवाना हो गए। यह खबर जब बाहर इंतजार कर रहे ग्रामीणों तक पहुंची, तो गुस्सा फूट पड़ा।
कलेक्ट्रेट में हुआ अनोखा विरोध, गेट पर जड़ा ताला
नाराज ग्रामीणों ने प्रशासनिक इतिहास में शायद पहली बार ऐसा कदम उठाया। उन्होंने कलेक्ट्रेट का मुख्य गेट बंद कर ताला लगा दिया और कार्यालय में मौजूद सभी अधिकारियों को ‘नजरबंद’ कर दिया। विरोध प्रदर्शन के दौरान जोरदार नारेबाजी हुई और प्रशासन के खिलाफ लोगों ने खुलकर नाराजगी जाहिर की।

संगठनों ने अपनी-अपनी मांगों को लेकर जताया विरोध
इस प्रदर्शन में सीमेंट फैक्ट्री के खिलाफ आवाज उठा रहे ग्रामीण, चतुर्भुज गांव के लोग जो सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट हटाने की मांग कर रहे थे, और कोटपूतली में डीजे कोर्ट की स्थापना की मांग करने वाले अधिवक्ता संघ के सदस्य शामिल थे। सभी ने प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए।
कलेक्टर ने कहा – यह सिर्फ मिसकम्युनिकेशन था
घंटों चले इस तनावपूर्ण माहौल के बाद अधिकारियों और ग्रामीणों के बीच बैठक आयोजित की गई। कलेक्टर कल्पना अग्रवाल ने इसे ‘मिसकम्युनिकेशन’ का मामला बताया और स्पष्ट किया कि प्रशासन की मंशा किसी को रोकने की नहीं थी। हालांकि ग्रामीण इस जवाब से पूरी तरह संतुष्ट नजर नहीं आए।