Tuesday, April 29, 2025
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सुप्रीम कोर्ट को ‘न्यूक्लियर मिसाइल’ बताने पर गरजे कपिल सिब्बल, बोले– न्यायपालिका पर सवाल उठाना लोकतंत्र को कमजोर करना

राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के उस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है जिसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की शक्तियों पर सवाल उठाए थे। सिब्बल ने साफ कहा कि अगर सरकार अपने दायित्व पूरे नहीं कर रही, तो न्यायपालिका को दखल देना चाहिए और ये उसका संवैधानिक अधिकार है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में न्यायपालिका की स्वतंत्रता सबसे अहम है और उस पर इस तरह के राजनीतिक हमले बेहद अफसोसजनक हैं।

सुप्रीम कोर्ट पर उठाए गए सवाल निंदनीय

कपिल सिब्बल ने कहा कि न्यायपालिका को संविधान ने अनुच्छेद 142 के तहत विशेष अधिकार दिए हैं ताकि वह ‘पूर्ण न्याय’ दे सके। उन्होंने कहा कि इस अनुच्छेद की तुलना न्यूक्लियर मिसाइल से करना पूरी तरह से गलत है। सिब्बल ने पूछा कि जब नोटबंदी हुई थी, तब तो किसी ने न्यूक्लियर मिसाइल नहीं कहा? क्या तब देश को नुकसान नहीं हुआ?

राष्ट्रपति सिर्फ नाम के प्रमुख, फैसला कैबिनेट लेती है

प्रेस कांफ्रेंस के दौरान सिब्बल ने राष्ट्रपति की भूमिका को लेकर भी साफ किया कि राष्ट्रपति कोई व्यक्तिगत फैसला नहीं लेते, वे केवल कैबिनेट की सलाह पर काम करते हैं। ऐसे में उपराष्ट्रपति का यह कहना कि न्यायपालिका सरकार के फैसलों में दखल दे रही है, सही नहीं ठहराया जा सकता।

राज्यसभा सभापति से ऐसे बयान की उम्मीद नहीं

कपिल सिब्बल ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के बयानों को ‘राजनीतिक’ बताया और कहा कि उन्होंने अब तक किसी राज्यसभा सभापति को इस तरह खुलेआम सुप्रीम कोर्ट की आलोचना करते नहीं देखा। उन्होंने कहा कि ऐसा व्यवहार लोकतंत्र के लिए खतरनाक है और जनता की न्यायपालिका पर विश्वास को हिलाने वाला है।

लोकतंत्र को कमजोर कर रही है कार्यपालिका

सिब्बल ने कहा कि आज की तारीख में अगर देश में कोई संस्था है जिस पर आम आदमी को सबसे ज्यादा भरोसा है, तो वह न्यायपालिका है। अगर सरकार की कार्यशैली में खामियां हैं और फैसले जनता के हक में नहीं लिए जा रहे, तो कोर्ट को दखल देना ही पड़ेगा। यही उसकी जिम्मेदारी है।

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  1. कपिल सिब्बल ने उपराष्ट्रपति धनखड़ के सुप्रीम कोर्ट पर दिए बयान को दुर्भाग्यपूर्ण बताया।
  2. उन्होंने कहा कि अगर कार्यपालिका फेल हो रही है, तो न्यायपालिका को दखल देना चाहिए।
  3. सिब्बल ने अनुच्छेद 142 की तुलना न्यूक्लियर मिसाइल से करने को गलत ठहराया।
  4. उन्होंने राष्ट्रपति को सिर्फ नाममात्र का प्रमुख बताया, जो कैबिनेट की सलाह से काम करते हैं।
  5. सिब्बल ने चेताया कि न्यायपालिका पर राजनीतिक हमले लोकतंत्र को कमजोर करते हैं।
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