पांच साल के लंबे इंतजार के बाद एक बार फिर कैलाश मानसरोवर यात्रा का रास्ता खुल गया है। चीन ने भारत को इजाजत दे दी है कि श्रद्धालु उत्तराखंड और सिक्किम के रास्ते से कैलाश पहुंच सकें। इस बार 750 श्रद्धालु 15 जत्थों में यात्रा करेंगे। विदेश मंत्रालय ने शनिवार को इसकी आधिकारिक घोषणा करते हुए आवेदन प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। तीर्थयात्री अब http://kmy.gov.in वेबसाइट पर 13 मई, 2025 तक आवेदन कर सकते हैं।
उत्तराखंड और सिक्किम से यात्रा होगी आसान
इस साल 5 जत्थे उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे से और 10 जत्थे सिक्किम के नाथूला दर्रे से मानसरोवर जाएंगे। हर जत्थे में 50 यात्री होंगे। लिपुलेख से यात्रा करते हुए श्रद्धालु हिमालय की खूबसूरती और नाथूला से तिब्बती संस्कृति का अनुभव कर सकेंगे। पहले की तरह यात्रा काफी कठिन और साहसिक होगी, लेकिन सरकार ने व्यवस्थाएं काफी मजबूत की हैं।
सीमा विवाद थमा, अब रिश्तों में नरमी
कैलाश मानसरोवर यात्रा का दोबारा शुरू होना भारत और चीन के बीच रिश्तों में नरमी का संकेत है। अक्टूबर 2024 में रूस के कजान शहर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच मुलाकात के बाद रिश्तों में यह बदलाव देखा गया। डेमचोक और देपसांग इलाकों से दोनों देशों की सेनाएं हटने के बाद अब यात्रा और हवाई सेवा दोनों शुरू की जा रही हैं।
कोविड और तनाव के कारण थी यात्रा बंद
2020 से लेकर अब तक कैलाश मानसरोवर यात्रा बंद रही थी। इसकी दो बड़ी वजह थीं – चीन-भारत सीमा पर तनाव और कोविड महामारी। पहले हर साल करीब 50 हजार श्रद्धालु कैलाश यात्रा पर जाया करते थे। लेकिन कोविड और सीमा विवाद के चलते चीन ने यात्रियों को परमिशन देना बंद कर दिया था।
कैलाश पर्वत का आध्यात्मिक महत्व बरकरार
कैलाश पर्वत को हिंदू धर्म में भगवान शिव का निवास स्थल माना जाता है। जैन धर्म में भी यह पर्वत बेहद पवित्र है। कैलाश की ऊंचाई भले ही एवरेस्ट से कम है, लेकिन आज तक कोई भी इस पर्वत की चोटी पर नहीं पहुंच पाया है। इसका शिखर शिवलिंग जैसा दिखता है और इसकी परिक्रमा करना ही सबसे बड़ा पुण्य माना जाता है।

- यात्रा की तारीखें: 30 जून से 25 अगस्त 2025 तक कैलाश मानसरोवर यात्रा होगी, आवेदन की आखिरी तारीख 13 मई है।
- यात्रा का रूट: उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे और सिक्किम के नाथूला दर्रे से 750 श्रद्धालु जाएंगे, हर जत्थे में 50 यात्री।
- भारत-चीन समझौता: कजान में मोदी और जिनपिंग की मुलाकात के बाद डेमचोक और देपसांग से सेनाएं हटीं, यात्रा दोबारा शुरू।
- हवाई सेवाएं भी शुरू: 2020 से बंद डायरेक्ट फ्लाइट्स भी फिर से शुरू होंगी, जिससे यात्रा आसान होगी।
- आध्यात्मिक महत्व: कैलाश को भगवान शिव का निवास स्थल माना जाता है, इसलिए हिंदू और जैन श्रद्धालुओं के लिए यह यात्रा बेहद पवित्र है।