विनायक चतुर्थी 2025, 3 मार्च को मनाई जाएगी, इस दिन ब्रह्म योग और शुभ मुहूर्त का निर्माण हो रहा है। भगवान गणेश की पूजा से संकटों से मुक्ति और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। पूजा विधि में विशेष रूप से दूर्वा और मोदक का भोग अर्पित करने का महत्व है। इस दिन का व्रत भगवान गणेश की विशेष कृपा प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है।
नई दिल्ली. विनायक चतुर्थी हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है, खासकर फाल्गुन महीने में। यह दिन भगवान गणेश की पूजा के लिए समर्पित होता है और इस दिन का व्रत विशेष रूप से उनकी कृपा पाने के लिए रखा जाता है। इस साल, 3 मार्च, सोमवार को फाल्गुन शुक्ल चतुर्थी मनाई जाएगी। इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से न सिर्फ संकटों से मुक्ति मिलती है, बल्कि मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं।
ब्राह्म योग और शुभ संयोग
इस बार विनायक चतुर्थी के दिन शुक्ल और ब्रह्म योग का निर्माण हो रहा है, जो ज्योतिष के अनुसार अत्यंत शुभ माना जाता है। इस योग में की गई पूजा से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं। इसके अलावा, भद्रावास योग और अश्विनी नक्षत्र का भी संयोग बन रहा है, जो पूजा को और भी फलदायी बनाता है।
विनायक चतुर्थी पूजा मुहूर्त
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 05 बजकर 05 मिनट से 05 बजकर 55 मिनट तक
- विजय मुहूर्त: दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 16 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त: शाम 06 बजकर 20 मिनट से 06 बजकर 45 मिनट तक
- निशिता मुहूर्त: रात्रि 12 बजकर 08 मिनट से 12 बजकर 57 मिनट तक
विनायक चतुर्थी पूजा विधि
विनायक चतुर्थी की पूजा विधि के अनुसार, सबसे पहले स्नान करके व्रत का संकल्प लें। फिर भगवान गणेश की पूजा करें और उन्हें फल, फूल, हल्दी, कुमकुम, सुपारी, पान के पत्ते, और पीला चंदन अर्पित करें। गणेश जी को दूर्वा, मोदक और लड्डू का भोग अर्पित करें। पूजा के दौरान ॐ गं गणपतये नमः मंत्र का जाप करें। अंत में गणेश जी की आरती करें और चंद्रमा को अर्घ्य दें। फिर पुनः गणेश जी को भोग अर्पित करें और व्रत का पारण करें।