पहलगाम में हुए आतंकी हमले के एक सप्ताह बाद अब जांच एजेंसियों को साजिश के गहरे सुराग मिलने लगे हैं। शुरुआती जांच और खुफिया इनपुट के आधार पर कई अहम खुलासे सामने आए हैं, जो हमले की प्लानिंग और उसके बाद के मूवमेंट को लेकर कई संकेत दे रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक हमले से लगभग पांच दिन पहले बैसरन इलाके में एक अज्ञात ड्रोन उड़ता हुआ देखा गया था। माना जा रहा है कि यह ड्रोन भीड़भाड़ का आकलन करने और इलाके की रेकी के मकसद से भेजा गया था। ड्रोन के चीन निर्मित DJI मॉडल का होना सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है।
ISRO से मांगी मदद, ड्रोन से हथियार सप्लाई की भी आशंका
जांच एजेंसियों ने इसरो से मदद मांगी है ताकि हमले के दौरान किसी असामान्य रेडियो सिग्नल ट्रैफिक का पता लगाया जा सके। माना जा रहा है कि ड्रोन के जरिये हथियारों की खेप भी घाटी में पहुंचाई गई हो सकती है। इस दिशा में तकनीकी विश्लेषण तेजी से किया जा रहा है।
घोड़ेवालों से करवाई गई रेकी, लोकल आईडी का इस्तेमाल
जांच में सामने आया है कि आतंकियों ने स्थानीय घोड़ेवालों की मदद ली थी। उन्हें पैसे देकर इलाके की बारीकी से रेकी करवाई गई थी। इतना ही नहीं, हमलावरों ने स्थानीय वेशभूषा और फर्जी लोकल आईडी कार्ड का इस्तेमाल कर पर्यटकों के बीच घुलने-मिलने की कोशिश भी की थी, ताकि शक न हो।
हमले के बाद घने जंगलों के रास्ते भागे आतंकी
हमले के बाद आतंकी बैसरन से आरू-नगबल के ऊपरी घने इलाकों की तरफ बढ़े। यहां से नगबल नाला होते हुए पश्चिम की ओर खिरम और श्रीशैलम तक पहुंचने के रास्ते हैं। इसके अलावा आरू के ऊपर बने छोटे ट्रैकिंग रूट्स से पुलवामा और अनंतनाग की ओर भी निकला जा सकता है। जांच में इन सभी रूट्स पर हलचल दर्ज की गई है।
NIA ने दर्ज किया केस, पीड़ित परिवारों से लीं गवाही
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने जम्मू में इस आतंकी हमले का केस दर्ज कर लिया है। एजेंसी ने घटनास्थल से मिले सबूतों और चश्मदीदों के बयानों के आधार पर अपनी कार्रवाई शुरू की है। टीमों ने महाराष्ट्र, ओडिशा और पश्चिम बंगाल समेत अन्य राज्यों में जाकर पीड़ित परिवारों से मुलाकात की और उनके बयान दर्ज किए हैं।
सुरक्षाबलों ने भी घाटी में कार्रवाई तेज कर दी है। पिछले तीन दिनों में 10 आतंकियों के घरों को ब्लास्ट कर उड़ा दिया गया। वहीं, बीते दो दिनों में 272 पाकिस्तानी नागरिक भारत छोड़ चुके हैं, जबकि 13 डिप्लोमैट समेत 629 भारतीय पाकिस्तान से लौटे हैं।

- पहलगाम आतंकी हमले की जांच में एजेंसियों को ड्रोन और स्थानीय रेकी के कई अहम सबूत मिले हैं।
- बैसरन घाटी में हमले से 5 दिन पहले चीन निर्मित ड्रोन उड़ता देखा गया था, जिससे रेकी और भीड़ का आकलन किया गया।
- हमले के बाद आतंकी आरू-नगबल के घने इलाकों में भागे और वहां से पुलवामा व अनंतनाग की ओर जाने के रास्तों का इस्तेमाल किया।
- राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने जम्मू में केस दर्ज कर महाराष्ट्र, ओडिशा और बंगाल में पीड़ित परिवारों से गवाही ली।
- पाकिस्तान ने रूस और चीन से मांग की है कि वे पहलगाम हमले की स्वतंत्र जांच समिति बनाएं।