सोमवार को भारत और फ्रांस के बीच 63,000 करोड़ रुपए की बड़ी डिफेंस डील फाइनल हुई। इस डील के तहत भारत 26 राफेल मरीन फाइटर जेट खरीदेगा। भारत की तरफ से रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने इस करार पर साइन किए। इन 26 जेट्स में 22 सिंगल सीटर और 4 डबल सीटर विमान शामिल हैं। खास बात ये है कि ये सभी विमान परमाणु बम दागने की क्षमता से लैस होंगे। ये भारत और फ्रांस के बीच अब तक का सबसे बड़ा हथियार सौदा बन गया है।
कैबिनेट कमेटी से मिली थी मंजूरी
23 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में पहलगाम हमले के बाद बुलाई गई कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) मीटिंग में इस डील को हरी झंडी मिल गई थी। मीटिंग के तुरंत बाद डील को तेजी से अंजाम तक पहुंचाया गया। इससे साफ है कि सरकार देश की समुद्री सुरक्षा को लेकर कितनी गंभीर है।
INS विक्रांत पर तैनात होंगे राफेल मरीन
भारत राफेल मरीन जेट्स को अपने नए एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत पर तैनात करेगा। दसॉ एविएशन कंपनी ने इन फाइटर जेट्स को भारतीय नौसेना की जरूरतों के हिसाब से खासतौर पर मॉडिफाई किया है। इनमें एंटी-शिप मिसाइल स्ट्राइक, न्यूक्लियर अटैक क्षमता और दस घंटे तक मिशन रिकॉर्डिंग जैसे फीचर्स हैं। इसके साथ ही भारत को हथियार प्रणाली, स्पेयर पार्ट्स और मेंटेनेंस टूल्स भी मिलेंगे। रिपोर्ट्स के मुताबिक डिलीवरी 2028-29 में शुरू होगी और 2031-32 तक पूरी खेप भारत को मिल जाएगी।
पहले भी फ्रांस से खरीदे हैं राफेल जेट
भारत ने इससे पहले 2016 में फ्रांस से 36 राफेल जेट एयरफोर्स के लिए खरीदे थे, जो 2022 तक भारत पहुंच चुके हैं। वे राफेल जेट अंबाला और हाशिमारा एयरबेस से ऑपरेट किए जाते हैं। उस डील की कीमत करीब 58,000 करोड़ रुपए थी। इस बार राफेल मरीन वर्जन एयरफोर्स वाले राफेल से भी ज्यादा एडवांस्ड और नेवी ऑपरेशन्स के हिसाब से खास बनाए गए हैं।
क्यों खास हैं राफेल मरीन फाइटर जेट्स
राफेल मरीन (Rafale M) का डिजाइन खासतौर पर एयरक्राफ्ट कैरियर के लिए तैयार किया गया है। 50.1 फीट लंबे इस विमान का वजन 15 हजार किलो तक है। इसकी फ्यूल कैपिसिटी 11,202 किलो है, जिससे यह लंबे समय तक उड़ान भर सकता है। राफेल-एम एक मिनट में 18 हजार मीटर की ऊंचाई पकड़ सकता है और 3700 किमी तक दुश्मन पर हमला कर सकता है। 30 एमएम की ऑटो कैनन गन और 14 हार्डप्वाइंट्स इसे जबरदस्त ताकतवर बनाते हैं। हवा में ही रीफ्यूलिंग की सुविधा इसकी रेंज को और बढ़ा देती है।
नौसेना की ताकत कई गुना बढ़ेगी
फिलहाल भारतीय नौसेना के विमान वाहक पोत INS विक्रमादित्य और INS विक्रांत पर पुराने मिग-29के फाइटर जेट्स तैनात हैं। राफेल मरीन की तैनाती के बाद भारत के समंदर पर वर्चस्व की ताकत कई गुना बढ़ेगी। राफेल-एम के आने से भारत की नभ, थल और जल – तीनों मोर्चों पर पकड़ मजबूत होगी और समुद्री सीमाएं पहले से कहीं ज्यादा सुरक्षित होंगी।
भारत राफेल मरीन क्यों खरीद रहा है?
भारतीय नौसेना ने बेहतर फाइटर जेट्स की जरूरत महसूस की थी क्योंकि पुराने मिग-29 की मेंटेनेंस में दिक्कतें आने लगी थीं। नौसेना ने गोवा में राफेल मरीन और अमेरिकी बोइंग-18 का ट्रायल भी किया था। फ्रांस की कंपनी ने भारत की जरूरतों के मुताबिक बदलाव करने को तुरंत हां कहा। यही वजह रही कि राफेल मरीन को चुना गया। इसके अलावा, पहले से भारतीय वायुसेना के पास राफेल जेट होने की वजह से ट्रेनिंग और मेंटेनेंस भी आसान रहेगा।
भारत-फ्रांस के रिश्ते होंगे और मजबूत
यह डील सिर्फ एक डिफेंस करार नहीं, बल्कि भारत और फ्रांस के रिश्तों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का बड़ा कदम भी है। दोनों देशों के बीच रणनीतिक सहयोग और मजबूत होगा, जिसका सीधा फायदा भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को मिलेगा।

- भारत और फ्रांस के बीच 63,000 करोड़ रुपए की डील में 26 राफेल मरीन फाइटर जेट खरीदे जाएंगे।
- ये जेट INS विक्रांत पर तैनात होंगे और परमाणु हमले की क्षमता से लैस होंगे।
- डील को प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में हुई CCS मीटिंग के बाद मंजूरी मिली थी।
- डिलीवरी 2028-29 में शुरू होगी और 2031-32 तक सभी जेट भारत पहुंच जाएंगे।
- राफेल मरीन के आने से भारतीय नौसेना की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी और समुद्री सुरक्षा मजबूत होगी।