Wednesday, April 30, 2025
spot_img
Homeटॉप न्यूजगजकेसरी और सर्वार्थसिद्ध योग के साथ अक्षय तृतीया आज, दिनभर खरीदारी के...

गजकेसरी और सर्वार्थसिद्ध योग के साथ अक्षय तृतीया आज, दिनभर खरीदारी के मुहूर्त, समृद्धि के लिए करें दान पुण्य

हिंदू पंचांग के अनुसार आज (30 अप्रैल, मंगलवार) अक्षय तृतीया का पर्व है, जिसे आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है। यह तिथि ‘अबूझ मुहूर्त’ कहलाती है, यानी आज किसी भी शुभ कार्य के लिए पंचांग देखने की आवश्यकता नहीं होती। धार्मिक परंपराओं में इसे ऐसा दिन माना गया है, जिस पर किए गए सत्कर्म, दान, तप, जप, ज्ञान अर्जन या कोई भी शुभ कार्य कभी व्यर्थ नहीं जाता। “अक्षय” शब्द का अर्थ होता है — जो कभी क्षय न हो। यही इसकी विशेषता है।

मान्यता के अनुसार, आज ही के दिन सतयुग और त्रेतायुग की शुरुआत हुई थी। यही कारण है कि इस दिन की धार्मिक और सामाजिक महत्ता अत्यंत गहन मानी जाती है।

क्यों है अक्षय तृतीया पर खरीदारी का विशेष महत्व?

धार्मिक विश्वासों के अनुसार, इस दिन खरीदी गई वस्तुएं अक्षय फल देती हैं। विशेषकर सोना खरीदना समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना गया है। ऐसा माना जाता है कि यह धातु लक्ष्मी का प्रतीक है, और इस दिन घर लाया गया आभूषण आर्थिक संतुलन और सुख-शांति को बढ़ावा देता है।

इस दिन केवल आभूषण ही नहीं, बल्कि भूमि, वाहन, मकान जैसे स्थायी साधनों की खरीद भी शुभ मानी जाती है। जिन परिवारों में गृह प्रवेश, मुंडन, उपनयन संस्कार या व्यापार प्रारंभ करने जैसे आयोजन होते हैं, उनके लिए भी यह दिन अत्यंत श्रेष्ठ माना गया है।

आज के विशेष योग और शुभ मुहूर्त

इस अक्षय तृतीया पर कई दुर्लभ योगों का अद्भुत संयोग बन रहा है। ग्रहों की चाल से वाशि योग, आनन्दादि योग, सुनफा योग, गजकेसरी योग, शोभन योग और सर्वार्थसिद्धि योग का निर्माण हो रहा है, जो इस तिथि को और भी प्रभावशाली बना रहे हैं।

मिथुन, कन्या, धनु और मीन राशि वालों के लिए मालव्य योग का लाभदायक प्रभाव बताया गया है। चंद्रमा आज वृषभ राशि में विचरण कर रहे हैं, जो स्थिरता और भौतिक सुख की ऊर्जा का प्रतीक है।

शुभ तिथि और नक्षत्र:

  • तृतीया तिथि: दोपहर 2:13 बजे तक
  • इसके बाद चतुर्थी तिथि
  • रोहिणी नक्षत्र: दोपहर 4:18 बजे तक, फिर मृगशिरा नक्षत्र

शुभ चौघड़िया मुहूर्त:

  • प्रातः 7:00 से 9:00 बजे — लाभ और अमृत
  • दोपहर 10:39 से 12:18 — शुभ
  • सायं 5:15 से 6:15 — लाभ
    राहुकाल: दोपहर 12:00 से 01:30 बजे तक

समाज और संस्कृति की दृष्टि से अक्षय तृतीया का महत्व

भारत के विविध प्रांतों में इस दिन को समाजिक सौहार्द, दान-पुण्य और आत्मिक उत्थान का प्रतीक माना जाता है। गांवों में सामूहिक पूजन, कन्याभोज, जरूरतमंदों को दान देने और वृक्षारोपण जैसे कार्यों का आयोजन होता है।

अक्षय तृतीया केवल व्यक्तिगत सुख-समृद्धि का नहीं, बल्कि समाज में संतुलन और सामूहिक कल्याण की भावना को भी पोषित करता है। धार्मिक आयोजनों से लेकर सामाजिक भागीदारी तक, यह दिन एक आंतरिक चेतना और सेवा भावना को जगाने का अवसर बनता है।

अन्य खबरें