आज हिंदू पंचाग की सबसे लाभदायी और शुभ तिथि अक्षय तृतीया है। जिसमें कोई भी शुभ कार्य बिना मुहूर्त के किया जा सकता है। यह तिथि धर्म, सेवा, दान और आत्मिक उन्नति का प्रतीक है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।इस दिन समाज में दान, संयम और सद्भाव की भावना का संचार होता है।
धार्मिक पूजन का विशेष महत्व
- भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा का महत्व है।
- गुलाबी या पीले वस्त्र पहनकर श्रद्धा भाव से पूजा करने की परंपरा जुड़ी हुई है।
- शंख और दीपक जलाने, घर को साफ रखने और झगड़ों से दूर रहने की परंपराएं इस दिन की पवित्रता को दर्शाती हैं।
- इस दिन उपवास, भजन, मंत्र-जप, और ध्यान जैसे आध्यात्मिक अभ्यासों का विशेष महत्व होता है।
किन वस्तुओं का करें दान
- अक्षय तृतीया पर परंपरागत रूप से जलपात्र, फल, छाता, चप्पल और अन्न का दान किया जाता है, ताकि गर्मी और भूख से पीड़ित जरूरतमंदों की मदद हो सके।
- इस दिन अनेक लोग गरीबों को भोजन, वस्त्र और दक्षिणा देकर अपने सामाजिक दायित्व का निर्वाह करते हैं।
- ब्राह्मण भोज और सामूहिक सेवा कार्यों का आयोजन भी कई स्थानों पर देखने को मिलता है।
- समाज के कई हिस्सों में यह दिन कन्यादान, गृह प्रवेश, भूमि पूजन, व्यापार आरंभ जैसे महत्वपूर्ण कार्यों के लिए आदर्श माना जाता है।
अपनाएं ये उपाय, मिलेगा धन लाभ
- यदि सोना नहीं खरीद सकते, तो 11 कौड़ियां लाल वस्त्र में बांधकर लक्ष्मी के पास रखें और फिर कैश बॉक्स में रखें।
- आर्थिक स्थिति कमजोर हो तो घर के मुख्य द्वार पर गणेश जी की तस्वीर लगाएं।
- गर्मी में राहत देने के लिए जल से भरे घड़े का दान करें।
- घर के मंदिर में संध्या के समय शंखनाद और दीप प्रज्ज्वलन करें, जिससे वातावरण शुद्ध और सकारात्मक बनता है।
- झगड़ों से बचें, तामसिक भोजन से दूर रहें, और सात्विकता को अपनाएं।
आध्यात्मिक और सामाजिक संतुलन का पर्व
अक्षय तृतीया केवल धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित नहीं है। यह सामाजिक दायित्वों के निर्वहन और आत्मिक अनुशासन का प्रतीक बन चुका है। इसकी परंपराएं हमें यह सिखाती हैं कि जीवन में स्थायित्व, समृद्धि और आनंद केवल व्यक्तिगत प्रयासों से नहीं, बल्कि सामूहिक भलाई और सेवा भावना से संभव हैं।