दिल्ली की उमस भरी दोपहर थी, जब केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने मंच से एक घोषणा की- जो जल्द ही देश भर के घरों, दफ्तरों और मॉल्स में महसूस की जाएगी। उन्होंने बताया कि भारत में एयर कंडीशनिंग सिस्टम के लिए एक नया राष्ट्रीय मानक तय होने जा रहा है। और यह कोई छोटी बात नहीं।
अब किसी भी एसी को 20 डिग्री सेल्सियस से नीचे या 28 डिग्री से ऊपर सेट नहीं किया जा सकेगा। चाहे वह आपके बेडरूम की मशीन हो या किसी शॉपिंग मॉल की सेंट्रल चिलर यूनिट। मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इस पहल को “एक अनूठा प्रयोग” बताया।
20°C से नीचे अब नहीं
वजहें साफ हैं। आज भारत में हजारों लोग एसी को 18 या 19 डिग्री तक ठंडा कर देते हैं—एक तरह से रजाई के नीचे बैठकर बर्फ झेलने जैसा। इससे ना केवल ऊर्जा की बर्बादी होती है, बल्कि पावर ग्रिड पर भी अचानक अतिरिक्त दबाव आ जाता है। पारे के चढ़ते ही, बिजली की मांग रातोंरात 10 से 12 गिगावॉट तक बढ़ जाती है।
ऊर्जा विशेषज्ञ बताते हैं—हर 1 डिग्री का इज़ाफा लगभग 6% बिजली बचा सकता है। यानी अगर एसी 22 डिग्री पर चले, तो भी ठंडक बनी रहेगी और देश करोड़ों यूनिट बिजली बचा सकता है।
2019 में BEE ने दफ्तरों के लिए 24 डिग्री का डिफॉल्ट तापमान सुझाया था, लेकिन ये सिर्फ सलाह थी—कोई बाध्यता नहीं। नतीजा ये रहा कि कंपनियों ने इसे नजरअंदाज कर दिया।

ये महज़ ऊर्जा बचत की बात नहीं, बल्कि बिजली की बढ़ती मांग, भारी बिलों और पर्यावरणीय दबाव से जूझते भारत के लिए एक संगठित जवाब है।
-मनोहर लाल खट्टर, केंद्रीय मंत्री
असर बोलेगा, जेब बोलेगी
सरकारी आकलन कहता है—अगर देश के सभी शहरों में एसी का तापमान 22 से 24 डिग्री रखा जाए, तो हर साल 12 से 15 बिलियन यूनिट बिजली की बचत मुमकिन है। ये ठीक वैसा है जैसे चार से पांच कोयला आधारित प्लांट्स की ज़रूरत ही ना पड़े।
इतना ही नहीं, करीब 1.2 करोड़ टन CO₂ उत्सर्जन भी कम होगा। जो मोटे तौर पर ये कहें, तो जैसे 25 लाख पेट्रोल कारों को सड़कों से हटा दिया गया हो।
और आम आदमी? वो भी पीछे नहीं। अगले तीन साल में औसतन हर घर 18-20 हजार रुपये तक का बिजली बिल बचा सकेगा। पावर कंपनियों के लिए भी राहत होगी—उन्हें पीक टाइम की टेंशन कम होगी।
निर्माताओं के लिए नई चुनौती
नया नियम सबसे पहले एयर कंडीशनर कंपनियों की तकनीकी रीढ़ पर असर डालेगा। अब हर नए एसी मॉडल में ऐसा सिस्टम लगाना होगा जो सुनिश्चित करे कि 20 डिग्री से नीचे तापमान न जा सके—even if you try using the remote trick.
सीईएएमए (CEAMA) जैसे उद्योग संगठन मानते हैं कि इससे शुरुआत में लागत बढ़ेगी, लेकिन बाजार में ऊर्जा-कुशल वेरिएंट की मांग भी बढ़ेगी। यानी लंबी दौड़ में मुनाफा तय है।
पुराने यूनिट्स के लिए सरकार दो विकल्पों पर विचार कर रही है—या तो कंपनियां फर्मवेयर अपडेट से सेटिंग सीमित करें, या बिजली कंपनियां स्मार्ट मीटर के ज़रिए अतिरिक्त शुल्क वसूलें।
2025 की गर्मी में ही लागू होगी
मनोहर लाल खट्टर ने स्पष्ट किया—ये अभी लागू नहीं हो रहा, लेकिन “बहुत जल्द” अधिसूचना जारी होगी। लक्ष्य है कि 2025 की गर्मियों तक सरकारी दफ्तर, एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन और मॉल इसे अपनाना शुरू करें।
घरों में इसे चरणबद्ध तरीके से लाया जाएगा। शुरुआत बड़े शहरों में जागरूकता और इंसेंटिव से होगी, फिर 2026 से अनिवार्यता। BIS इसे भारतीय मानक (IS 1391) का हिस्सा बनाएगा और निगरानी के लिए BEE और डिस्कॉम्स साझा व्यवस्था तैयार करेंगे।
नीति निर्धारकों को भरोसा है—अगर सब कुछ योजना के मुताबिक चला, तो अगले चार-पांच सालों में भारत की 70% शहरी एसी खपत इस फ्रेमवर्क के दायरे में आ जाएगी।
एक तरफ ठंडी हवा का अहसास, दूसरी तरफ गर्म धरती का संकट। बीच का रास्ता शायद यही है—20 से 28 डिग्री की समझदारी।

- भारत सरकार जल्द एसी के लिए नया तापमान मानक लागू करेगी, जिसके तहत सभी एयर कंडीशनर केवल 20°C से 28°C के बीच ही ऑपरेट कर सकेंगे।
- इस कदम का उद्देश्य बिजली खपत और CO₂ उत्सर्जन को घटाना है, जिससे हर साल करीब 12–15 बिलियन यूनिट बिजली बचाई जा सकेगी।
- नई नीति का परीक्षण इसी गर्मियों में पहले सरकारी दफ्तरों, मॉल्स, एयरपोर्ट्स और रेलवे स्टेशनों में शुरू होगा, जबकि आवासीय क्षेत्रों में इसे चरणबद्ध रूप से लागू किया जाएगा।
- उद्योग को नए एसी मॉडल्स में स्मार्ट सॉफ्टवेयर या हार्डकोडेड लिमिट्स लगाने होंगे, ताकि तापमान 20°C से नीचे न जा सके—मौजूदा यूनिट्स के लिए अपडेट या शुल्क के विकल्प सुझाए गए हैं।
- नीति से उपभोक्ताओं को सालाना 18–20 हजार करोड़ रुपये तक की बिजली बिल बचत हो सकती है, और यह भारत के नेट-ज़ीरो लक्ष्यों की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।