रविवार, जून 15, 2025
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बांग्लादेश में सेना ने यूनुस सरकार को दिसंबर तक चुनाव कराने का अल्टीमेटम दिया

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख डॉ. मुहम्मद यूनुस पर अब हर दिशा से चुनाव कराने का दबाव बढ़ता जा रहा है। सेना प्रमुख वकार-उज-जमां ने साफ शब्दों में दिसंबर 2025 तक आम चुनाव कराने का अल्टीमेटम दे दिया है। इससे यूनुस सरकार की स्थिरता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

हसीना को सजा तक नहीं मानेंगे चुनाव

छात्र संगठनों की एकजुटता इस बार अलग ही स्तर पर देखने को मिल रही है। नेशनल सिटिजन पार्टी (NSP), जमात-ए-इस्लामी की छात्र शाखा छात्र शिबिर और वामपंथी छात्र संगठनों ने मिलकर ऐलान किया है कि जब तक पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के शासनकाल की घटनाओं की निष्पक्ष जांच नहीं होती और दोषियों को सजा नहीं मिलती, तब तक वे किसी भी चुनावी प्रक्रिया को मान्यता नहीं देंगे।

एनसीपी के छात्र नेता नाहिद इस्लाम ने दावा किया कि यदि जन समर्थन ऐसे ही कम होता गया, तो यूनुस को इस्तीफा देना पड़ सकता है। उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि यूनुस बने रहें, लेकिन न्याय के बिना चुनाव लोकतंत्र का मजाक बन जाएगा।”

BNP और जमात की बैठकों से आंदोलन की सुगबुगाहट

पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की पार्टी, बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP), यूनुस सरकार से तत्काल चुनावी रोडमैप घोषित करने की मांग कर रही है। पार्टी महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने कहा कि रोडमैप के बिना सरकार का समर्थन असंभव है।

बीते हफ्ते BNP और कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी के बीच चार दौर की बैठकें हुईं, जिनमें सड़कों पर उतरने की रणनीति पर मंथन हुआ। इन बैठकों ने संकेत दिए हैं कि जल्द ही विपक्ष कोई बड़ा आंदोलन शुरू कर सकता है।

यूनुस का रोडमैप टलने पर सेना की नाराज़गी

यूनुस फिलहाल चुनाव जनवरी से जून 2026 के बीच कराने की बात कर रहे हैं, लेकिन सेना इसे दिसंबर 2025 से आगे खींचने को लेकर सख्त नाराज है। मिलिटरी अधिकारियों ने साफ कर दिया है कि अगर सरकार ने लचीलापन नहीं दिखाया, तो स्थिति नियंत्रण से बाहर जा सकती है।

राजनीतिक हलचल के बीच विकल्पों पर मंथन

कयास लगाए जा रहे हैं कि यूनुस सरकार बिना चुनाव कराए विभिन्न दलों से बातचीत कर एक नई राष्ट्रीय सरकार के गठन की योजना बना रही है। मगर BNP ने साफ कर दिया है कि चुनाव के बिना कोई भी सरकार उसके लिए वैध नहीं होगी।

सरकारी सूत्रों के मुताबिक, यूनुस सरकार को पहले उम्मीद थी कि वह अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा कर सकेगी, लेकिन सेना और छात्रों के बढ़ते दबाव ने इस लक्ष्य को कठिन बना दिया है। गृह मंत्रालय के सलाहकार भी मानते हैं कि आमजन में सरकार को लेकर मिश्रित राय है।

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