कभी आपने महसूस किया है कि रिश्ते में सबकुछ होते हुए भी कुछ अधूरा रह जाता है? एक परफेक्ट लगती ज़िंदगी में भी कभी-कभी ऐसा खालीपन होता है जिसे शब्दों में बयां करना मुश्किल होता है—खासतौर पर महिलाओं के लिए, जिनकी भावनात्मक और फिजिकल ज़रूरतें अक्सर अनदेखी रह जाती हैं।
कई बार हम सोचते हैं कि इंटीमेसी यानी केवल फिजिकल क्लोजनेस। लेकिन क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि किसी के साथ सुकून से बैठना, बिना कुछ बोले समय बिताना या किसी के थके चेहरे पर हाथ फेर देना भी उसी गहराई का हिस्सा होता है?
सुबह उठते ही ब्रश करने से पहले व्हाट्सएप चेक करने की आदत तो सबको है। पर क्या आपने कभी सोचा है कि आपके सबसे करीबी इंसान से आख़िरी बार दिल से बात कब की थी?
रिश्तों को टाइम, ध्यान और थोड़ी positivity चाहिए होती है। ये मेहनत है, लेकिन दिल वाली मेहनत। और जब तुम ये करने लगते हो, तो पुराने वाला ‘spark’ दोबारा आने लगता है।
दिल्ली में एक कैफे में एक कपल के बीच मौन संबंधों की तस्वीर ने डिजिटल रिश्तों की गहराई पर सवाल उठाया है। तकनीक ने हमें जुड़े रखा है, लेकिन अक्सर यह जुड़ाव सतही होता है। रिश्तों में माइंडफुलनेस की कमी और 'फनब्बिंग' की आदतें समस्या बनी हुई हैं। डिजिटल डिटॉक्स और संवाद को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।