रविवार, जून 15, 2025
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एकदंत संकष्टी चतुर्थी आज, भगवान गणपति के अभिषेक और पूजा से मिलेगी सुख-समृद्धि

हर माह के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी व्रत रखा जाता है, लेकिन ज्येष्ठ मास की यह तिथि विशेष मानी जाती है क्योंकि यह एकदंत स्वरूप की आराधना से जुड़ी है। इस साल यह चतुर्थी कल यानी16 मई, शुक्रवार को मनाई जाएगी। यह दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा का दिन होता है। इस दिन उनका ध्यान करने से सुख–समृद्धि में वृद्धि होती है।

16 मई को प्रातः 4:02 बजे चतुर्थी तिथि आरंभ होगी और यह अगले दिन 17 मई को सुबह 5:13 बजे तक रहेगी। उदयातिथि के अनुसार व्रत 16 मई को ही रखा जाएगा।
इस दिन उपासक सुबह स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें, फिर श्रद्धा से भगवान गणेश के एकदंत स्वरूप का पूजन करें।

गणपति का अभिषेक करें

परंपरा के अनुसार, मिट्टी या धातु की गणेश प्रतिमा का गंगाजल से अभिषेक कर उन्हें दूर्वा, मोदक, और लाल-पीले पुष्प अर्पित किए जाते हैं। धूप-दीप प्रज्वलित कर गणेश मंत्रों का जाप या चालीसा का पाठ किया जाता है। रात्रि में 10:39 बजे चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत संपन्न किया जाता है।

एकदंत व्रत का सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, एक बार भगवान परशुराम के प्रहार से भगवान गणेश का एक दांत टूट गया था, तभी से उन्हें ‘एकदंत’ कहा जाता है।
इस दिन किया गया व्रत विशेष रूप से संकटों के निवारण, संतान की दीर्घायु, और परिवार की समृद्धि के लिए श्रेष्ठ माना जाता है।
समाज में इस दिन माताएं और गृहस्थ लोग व्रत रखकर मानसिक शांति, आर्थिक उन्नति और घर में सकारात्मक ऊर्जा की कामना करते हैं।
यह दिन ज्ञान, विवेक और आत्मसंयम के अभ्यास का प्रतीक भी माना जाता है।

सामाजिक मान्यताएं और शुभ कार्यों के लिए उत्तम समय

इस तिथि को शिव योग का विशेष संयोग मिल रहा है, जिससे यह दिन गृह प्रवेश, वाहन क्रय, व्यापार आरंभ, और विवाह के लिए भी शुभ माना गया है।
स्नान और दान का भी इस दिन विशेष महत्त्व है। मान्यता है कि इस दिन किया गया दान, विशेष फलदायक होता है और इससे व्यक्ति को समाज में यश तथा पुण्य की प्राप्ति होती है।

व्रत में क्या करें, क्या न करें (संयम का पालन जरूरी)

क्या करें:

  • ॐ गं गणपतये नमः मंत्र का 108 बार जाप करें।
  • चंद्रमा को अर्घ्य दें।
  • गणेश चालीसा या व्रत कथा का पाठ करें।

क्या न करें:

  • काले रंग के वस्त्र न पहनें।
  • तामसिक भोजन या प्याज-लहसुन से परहेज रखें।
  • वाद-विवाद और क्रोध से दूर रहें।
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