हरियाणा के कुरुक्षेत्र ज़िले के पिहोवा कस्बे में मंगलवार को एक असाधारण दृश्य देखने को मिला, जब स्थानीय किसान बलविंद्र सिंह ने प्रशासनिक अनदेखी के खिलाफ स्टेट हाईवे-6 पर अपना दावा जताते हुए सड़क के बीच दीवार खड़ी कर दी। सुबह 11 बजे के करीब ट्रैक्टर-ट्रॉली और ईंटें लेकर पहुंचे बलविंद्र ने सड़क के डंपिंग ज़ोन के पास निर्माण कार्य शुरू किया, जिससे दोनों ओर वाहनों की लंबी कतार लग गई।
1987 से सरकारी कब्जे में थी ज़मीन
बलविंद्र सिंह का आरोप है कि उनकी 22 मरले ज़मीन पर 1987 में बिना किसी मुआवज़े के पीडब्ल्यूडी ने सड़क बना दी थी। किसान ने 2006 में सिविल कोर्ट में मामला दायर किया। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद 2018 में अदालत ने बलविंद्र के पक्ष में फैसला सुनाया, लेकिन विभाग ने हाईकोर्ट में अपील की। 2023 में हाईकोर्ट ने भी किसान के हक में फैसला सुनाया, फिर भी प्रशासन ने ज़मीन का कब्जा नहीं लौटाया।
न्यायिक आदेशों की लगातार अनदेखी
किसान के वकील मिथुन अत्रि ने बताया कि अदालत द्वारा तीन बार बलविंद्र के पक्ष में फैसला आने के बावजूद प्रशासन ने कोई अमल नहीं किया। “सिर्फ़ आश्वासन मिलते रहे, पर कार्रवाई ज़ीरो रही,” उन्होंने कहा। ऐसे में मजबूर होकर किसान ने खुद हाईवे के हिस्से पर कब्जा कर लिया।
प्रशासन का पक्ष: दी गई थी मुआवज़े की रकम
वहीं, मामले में नोडल अधिकारी ऋषि सचदेवा का दावा है कि जमीन के बदले 5 लाख 50 हजार रुपये की राशि पहले ही मालिक को दी जा चुकी है। हालांकि कोर्ट ने इस राशि को अपर्याप्त मानते हुए बढ़ोतरी के आदेश दिए थे। सचदेवा ने बताया कि अतिरिक्त मुआवज़े की गणना की रिपोर्ट सरकार को भेजी जा चुकी है, और जो भी रकम बनती है, वह जल्द ही अदा की जाएगी।
घंटों बातचीत के बाद खुला रास्ता
तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए मौके पर तहसीलदार और पुलिस बल तैनात किया गया। कई घंटे की बातचीत के बाद जब प्रशासन ने बलविंद्र को कानूनी प्रक्रिया पूरी करने और राशि दिलाने का आश्वासन दिया, तब जाकर किसान रास्ता खाली करने को राज़ी हुए। फिलहाल रास्ता खुल गया है, लेकिन मामला प्रशासन और किसान के बीच अविश्वास की एक गहरी खाई को उजागर करता है।

- हरियाणा के कुरुक्षेत्र ज़िले में पिहोवा कस्बे के किसान बलविंद्र सिंह ने स्टेट हाईवे-6 पर दीवार खड़ी कर रास्ता जाम कर दिया।
- किसान का आरोप है कि 1987 में उनकी 22 मरले ज़मीन पर बिना मुआवज़े के सड़क बना दी गई थी।
- 2018 और फिर 2023 में कोर्ट ने बलविंद्र के पक्ष में फैसला सुनाया, फिर भी प्रशासन ने कार्रवाई नहीं की।
- सरकार की अपील खारिज होने और मुआवज़ा बढ़ाने का आदेश मिलने के बावजूद भुगतान नहीं हुआ था।
- कई घंटे की बातचीत और आश्वासन के बाद किसान ने रास्ता खोला, प्रशासन ने टकराव से बचने का रुख अपनाया।