राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गुरुवार को तीन दिवसीय दौरे पर उदयपुर पहुंचे, जहां डबोक एयरपोर्ट पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने उनका जोरदार स्वागत किया। मीडिया से बातचीत के दौरान जब उनसे गुर्जर आंदोलन को लेकर सवाल पूछा गया कि पायलट से मुलाकात के तुरंत बाद आंदोलन क्यों शुरू हो गया? तो गहलोत ने तीखा जवाब देते हुए कहा, “यह अनुभव की कमी है। किसी भी मुद्दे की तह में जाएं, उसकी जड़ को समझें, फिर कोई टिप्पणी करें।”
गहलोत ने स्पष्ट किया कि गुर्जर आंदोलन कांग्रेस राज में भी हुए थे, लेकिन उन्होंने उन्हें संवेदनशीलता और संवाद के ज़रिए सुलझाया। उन्होंने कहा, “हमारे राज में भी गुर्जर रेलवे ट्रैक पर बैठे थे। एक बार, दो बार, तीन बार आंदोलन हुआ। लेकिन हमने प्यार और भाईचारे से कर्नल किरोड़ी बैंसला जी को समझाया। न तो फायरिंग हुई, न ही लाठीचार्ज की नौबत आई।”
इसके उलट उन्होंने भाजपा सरकारों पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि उनके दौर में छह बार फायरिंग हुई, जिसमें कई गुर्जर मारे गए। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “इनके पास शासन का अनुभव नहीं है। इसलिए बात-बात पर टकराव होता है।”
गहलोत बोले- देश पहली बार टेंशन में है
गहलोत ने केंद्र सरकार के 11 वर्षों के कार्यकाल को लेकर भी अपनी राय रखी। उन्होंने कहा, “आजादी के बाद पहली बार ऐसा महसूस हो रहा है कि देश तनाव में है। संविधान खतरे में है, लोकतंत्र कमजोर हो रहा है। विपक्ष की आवाज को दबाया जा रहा है।”
उन्होंने राहुल गांधी का समर्थन करते हुए कहा कि वे जिस तरह से सवाल उठा रहे हैं- चाहे वह पहलगाम में हुई हत्या हो या कन्हैयालाल हत्याकांड, सरकार के पास किसी का ठोस जवाब नहीं है।
गहलोत ने यह भी आरोप लगाया कि कन्हैयालाल के हत्यारों के कथित संबंध भाजपा से थे, और कहा कि यदि पुलिस ने तत्परता न दिखाई होती, तो राज्य में गंभीर तनाव पैदा हो सकता था। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि तीन साल बीतने के बाद भी एनआईए इस केस में अब तक सजा क्यों नहीं दिला पाई।
राहुल गांधी के नेतृत्व की तारीफ
गहलोत ने कांग्रेस संगठन को लेकर चल रहे बदलावों पर भी विस्तार से बात की। उन्होंने बताया कि राहुल गांधी एक नई शुरुआत कर रहे हैं, जिसमें हर जिले में सीनियर नेताओं को भेजा जा रहा है और जिलाध्यक्षों के परफॉर्मेंस का ऑडिट किया जा रहा है।
उनका कहना था कि जो जिलाध्यक्ष अच्छा काम कर रहे हैं, उन्हें बनाए रखा जाएगा, कमजोर प्रदर्शन वालों को चेतावनी मिलेगी, और जहां नेतृत्व खाली है, वहां नई नियुक्ति की जाएगी। गहलोत ने इस प्रयोग को पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूत करने वाला कदम बताया।
‘वसुंधरा के कामों को आगे बढ़ाया, पर हमारे काम ठप’
पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि जब उनकी सरकार आई तो उन्होंने वसुंधरा सरकार के कई अधूरे प्रोजेक्ट्स को आगे बढ़ाया, क्योंकि उनका मानना था कि जनता का नुकसान नहीं होना चाहिए। लेकिन भाजपा सरकार ने उनकी योजनाओं को रोक दिया, जिससे विकास की गति बाधित हुई।