रविवार, जून 15, 2025
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कोलंबिया में राष्ट्रपति उम्मीदवार मिगुएल उरीबे पर रैली के दौरान हमला, पीठ पर मारी गई गोली

कोलंबिया की राजधानी बोगोटा शनिवार को अचानक गोलियों की गूंज और अफरा-तफरी से कांप उठी। कंजरवेटिव डेमोक्रेटिक सेंटर पार्टी के प्रमुख चेहरा और 2026 राष्ट्रपति चुनाव के दावेदार मिगुएल उरीबे तुर्बे पर चुनावी रैली के दौरान जानलेवा हमला हुआ।

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, भीड़ के बीच से किसी ने उन पर गोली चला दी, जो सीधे उनकी पीठ में लगी। ज़ख्मी हालत में उरीबे को समर्थकों और सुरक्षा कर्मियों ने आनन-फानन में एंबुलेंस में डाला। वायरल हो रहे वीडियो में देखा जा सकता है कि खून से लथपथ उरीबे को सड़क से उठाया गया, उनके कपड़े और रास्ता लाल हो चुका था। भीड़ में दहशत थी, कुछ लोग चीखते-चिल्लाते नज़र आए।

संदिग्ध हमलावर हिरासत में, जांच जारी

कोलंबिया के रक्षा मंत्री पेड्रो सांचेज ने हमले की पुष्टि करते हुए बताया कि एक संदिग्ध को मौके से गिरफ्तार कर लिया गया है। फिलहाल जांच एजेंसियां यह पता लगाने में जुटी हैं कि हमलावर अकेला था या किसी संगठित साजिश का हिस्सा। राष्ट्रपति कार्यालय ने इस कृत्य की कड़ी निंदा की है और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में हिंसा को “अस्वीकार्य” बताया है।

पार्टी ने बताया- गोली पीठ में लगी

डेमोक्रेटिक सेंटर पार्टी की ओर से जारी बयान में बताया गया कि मिगुएल उरीबे की पीठ में गोली लगी है। हालांकि उनकी मौजूदा हालत के बारे में अभी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई। अस्पताल में उनका इलाज जारी है। पार्टी समर्थकों और देशभर में उनके समर्थकों के बीच चिंता का माहौल है।

अमेरिका ने जताई नाराज़गी, वामपंथी बयानबाज़ी पर सवाल

हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया भी सामने आने लगी है। अमेरिकी सीनेटर मार्को रुबियो ने सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अमेरिका इस कायराना हमले की कड़ी निंदा करता है। उन्होंने इसे लोकतंत्र पर सीधा हमला बताया और कहा कि यह कोलंबिया सरकार के शीर्ष स्तर से मिल रही हिंसक वामपंथी बयानबाज़ी का नतीजा है।

मिगुएल उरीबे: एक राजनीतिक विरासत का वारिस

38 वर्षीय मिगुएल उरीबे तुर्बे कोलंबिया की राजनीति में एक जाना-पहचाना नाम हैं। वे सिर्फ एक सीनेटर नहीं, बल्कि एक ऐसे राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं जिसने दशकों तक कोलंबियाई राजनीति और मीडिया पर असर डाला है। उनके पिता मिगुएल उरीबे एक व्यवसायी और मज़दूर संघ के नेता रहे हैं, वहीं मां डायना तुर्बे एक मशहूर पत्रकार थीं जिन्हें 1990 में ड्रग माफिया पाब्लो एस्कोबार के इशारे पर अगवा किया गया था।
उस अपहरण के दौरान सरकारी रेस्क्यू ऑपरेशन में उनकी मौत हो गई थी। इसी पारिवारिक इतिहास ने मिगुएल को राजनीति में आने और बदलाव की राजनीति करने के लिए प्रेरित किया था।

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