गर्भवती महिलाओं को अब प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY) का लाभ पाने के लिए फॉर्म भरने या दस्तावेज़ जमा कराने की लंबी प्रक्रिया से नहीं गुजरना होगा। केंद्र सरकार इस योजना को राजस्थान के चिकित्सा विभाग के पीसीटीएस (PCTS) पोर्टल से जोड़ने जा रही है। इसका मकसद योजना के लाभ को तेज़, पारदर्शी और स्वतः प्रक्रिया आधारित बनाना, ताकि किसी भी पात्र महिला को लाभ से वंचित न होना पड़े।
कैसे बदलेगी योजना की प्रक्रिया?
अब तक महिला एवं बाल विकास विभाग और चिकित्सा विभाग की टीमों को आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, एएनएम और सहायिकाओं की मदद से फॉर्म भरवाना होता था। दस्तावेज जुटाने, सत्यापन और पोर्टल पर अपलोड करने में समय, संसाधन और गलतियों की संभावना बनी रहती थी।
नई व्यवस्था में जब PCTS पोर्टल को मातृ वंदना योजना से जोड़ा जाएगा, तो गर्भवती महिला की संपूर्ण जानकारी पहले से रिकॉर्ड में उपलब्ध रहेगी। जैसे ही किसी महिला की दूसरी संतान के रूप में बेटी का जन्म होता है, योजना के तहत ₹6000 की सहायता अपने आप उनके खाते में ट्रांसफर हो जाएगी।
क्यों जरूरी था यह बदलाव?
अभी की प्रणाली में अक्सर दस्तावेज अधूरे होने, गलत जानकारी भरने या दोहरा पंजीकरण हो जाने के कारण फॉर्म रिजेक्ट हो जाते हैं। इससे कई महिलाएं योजना का लाभ नहीं ले पातीं। कई बार ऐसे भी मामले सामने आते हैं, जहां आंगनबाड़ी कार्यकर्ता या एएनएम महिला तक पहुंच ही नहीं पाती, जिससे पूरा सिस्टम प्रभावित होता है।
PCTS पोर्टल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें हर गर्भवती महिला का नाम, पता, पहचान से लेकर प्रसव की तारीख तक का विवरण पहले से दर्ज होता है। यही कारण है कि इसे प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना से जोड़ने का निर्णय लिया गया है।
क्या है प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना?
प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना का उद्देश्य पहली और दूसरी संतान के जन्म पर मातृत्व लाभ देकर महिलाओं को आर्थिक सहायता प्रदान करना है।
- पहली संतान के जन्म पर ₹6500 की सहायता दो किस्तों में दी जाती है।
- दूसरी संतान यदि बेटी हो, तो ₹6000 की राशि एक बार में मिलती है।
राजस्थान में इस योजना से हर साल करीब 4 लाख महिलाएं लाभान्वित होती हैं। अब जब इसे PCTS पोर्टल से जोड़ा जाएगा, तो लाभार्थियों की संख्या और प्रक्रिया दोनों में बड़ा सुधार देखने को मिल सकता है।
सिर्फ राजस्थान नहीं, पूरे देश में लागू होगी नई प्रणाली
समेकित बाल विकास सेवाएं विभाग के निदेशक ओ. पी. बुनकर ने जानकारी दी कि इस एकीकरण को लेकर हाल ही में भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की एक उच्च स्तरीय बैठक आयोजित की गई है। योजना यह है कि यह नया सिस्टम पहले राजस्थान में पायलट के तौर पर लागू हो और फिर पूरे देश में विस्तार किया जाए।