रविवार, जून 15, 2025
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दौसा में एक मंच पर दिखेंगे पायलट और गहलोत, राजस्थान कांग्रेस में सियासी बर्फ पिघलने की अटकलें तेज

राजस्थान कांग्रेस की सियासत में मंगलवार, 11 जून का दिन एक भावनात्मक श्रद्धांजलि सभा से कहीं अधिक मायने रखता है। पूर्व केंद्रीय मंत्री राजेश पायलट की 25वीं पुण्यतिथि पर दौसा में आयोजित कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मौजूदगी तय मानी जा रही है। ये वही मंच होगा जहां वर्षों से एक-दूसरे के खिलाफ खेमेबंदी में खड़े गहलोत और सचिन पायलट पहली बार सियासी तौर पर आमने-सामने दिखेंगे।

यह कार्यक्रम सिर्फ एक श्रद्धांजलि सभा नहीं, बल्कि कांग्रेस के भीतर लंबे समय से खिंची तकरार की संभावित समाप्ति की झलक भी दे सकता है। गहलोत की टीम ने उनके दौसा जाने की पुष्टि कर दी है, जिससे यह सवाल उठ खड़ा हुआ है—क्या कांग्रेस में गुटबाजी की दरार अब पटने की ओर है?

पायलट ने खुद दिया आमंत्रण

इस सियासी गर्माहट से पहले जो दृश्य सामने आया, वो काफी हद तक सकारात्मक संकेत देता है। तीन दिन पहले सचिन पायलट खुद गहलोत के जयपुर स्थित सरकारी आवास पर पहुंचे और व्यक्तिगत रूप से उन्हें पुण्यतिथि कार्यक्रम में आमंत्रित किया। गहलोत ने उस मुलाकात को लेकर सोशल मीडिया पर भावुक पोस्ट साझा की और राजेश पायलट के साथ अपने दशकों पुराने रिश्तों को याद करते हुए लिखा—“1980 में हम दोनों लोकसभा में साथ पहुंचे थे। उनका निधन पार्टी के लिए एक बड़ी क्षति था।”

इस व्यक्तिगत पहल ने दोनों खेमों के बीच रिश्तों की गर्मजोशी में हल्की सी नरमी ला दी है, जो शायद ही पहले कभी दिखाई दी हो।

पूरे देश से जुटेंगे कांग्रेसी नेता

पायलट गुट इस श्रद्धांजलि सभा को बड़े राजनीतिक आयोजन में तब्दील करने की तैयारियों में बीते 15 दिनों से लगा हुआ है। राजस्थान भर के विधायकों, जिलाध्यक्षों के अलावा दिल्ली और उत्तर प्रदेश से भी वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं को न्योता भेजा गया है। प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर रंधावा, कई सांसद, पूर्व मंत्री और पार्टी के वरिष्ठ चेहरे इस कार्यक्रम में शामिल हो सकते हैं।

यह आयोजन पार्टी के लिए महज श्रद्धांजलि सभा नहीं, बल्कि नेतृत्व के भविष्य की दिशा तय करने वाली एक अहम कड़ी बन सकता है।

क्या सच में पिघल रही है बर्फ?

गहलोत और पायलट के बीच सियासी तल्खी किसी से छिपी नहीं रही। 2020 के सियासी संकट से लेकर तमाम सार्वजनिक बयानबाजियों तक, दोनों नेताओं के बीच गहरी खाई साफ दिखती रही है। ऐसे में गहलोत का दौसा पहुंचना केवल राजनीतिक शिष्टाचार नहीं, बल्कि एक संभावित ‘सीजफायर’ का संकेत भी है।

अब सबकी निगाहें दौसा की ओर हैं—जहां देखा जाएगा कि पायलट समर्थक गहलोत की मौजूदगी को किस नज़र से देखते हैं, और क्या यह मंच भविष्य में दोनों नेताओं के लिए साथ काम करने की शुरुआत बन सकता है। सियासी समीकरणों में स्थायित्व कितना टिकेगा, यह तो वक़्त ही बताएगा, लेकिन 11 जून का दिन कांग्रेस के लिए एक निर्णायक पड़ाव जरूर साबित हो सकता है।

 Nationalbreaking.com । नेशनल ब्रेकिंग - सबसे सटीक
  • 11 जून को दौसा में पूर्व केंद्रीय मंत्री राजेश पायलट की 25वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन होगा।
  • सचिन पायलट ने खुद जयपुर जाकर अशोक गहलोत को समारोह के लिए आमंत्रित किया, जिसे गहलोत ने स्वीकार कर लिया।
  • गहलोत की दौसा उपस्थिति को पायलट और गहलोत खेमों के बीच वर्षों से चली आ रही सियासी खटास के खत्म होने के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
  • इस सभा में राजस्थान सहित दिल्ली और यूपी के कई वरिष्ठ कांग्रेस नेता, विधायक, और पार्टी पदाधिकारी शामिल हो सकते हैं।
  • राजनीतिक विश्लेषकों की नजर इस कार्यक्रम पर टिकी है कि क्या ये कांग्रेस में गुटबाजी के अंत की शुरुआत साबित हो सकती है।
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