राजस्थान की पाठशालाओं में अब पढ़ाई सिर्फ गणित, हिंदी या इंग्लिश तक सीमित नहीं रहेगी। जुलाई की पहली सुबह जब स्कूल खुलेंगे, तो कक्षा में बैठे बच्चे किताबों के पन्नों पर महाराणा प्रताप की तलवार की टनकार और खेजड़ी के नीचे दिए गए बलिदान की गूंज महसूस करेंगे।
राज्य की भजनलाल शर्मा सरकार ने फैसला लिया है कि कक्षा 1 से 5वीं तक के बच्चों को अब देश के योद्धाओं, महापुरुषों और सांस्कृतिक धरोहरों के बारे में बताया जाएगा। इसकी पुष्टि खुद शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने की है।
राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद (RSCIT उदयपुर) ने इस नए कोर्स का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है, जो इसी सत्र से लागू होगा।
छोटी कक्षाओं में ही शिवाजी-प्रेरणा
अब तीसरी कक्षा का छात्र सिर्फ वर्णमाला नहीं सीखेगा, वो शिवाजी के युद्ध कौशल, दुर्गादास राठौड़ की वीरता और दयानंद सरस्वती की विचारधारा भी समझेगा।
सिलेबस में यह सुनिश्चित किया गया है कि स्थानीय और राष्ट्रीय नायकों की जीवनी रोचक किस्सों के जरिए बच्चों तक पहुंचे। किताबों में चित्रों, लोककथाओं और संवादों का इस्तेमाल किया गया है ताकि बच्चे विषय से जुड़ सकें।
हिंदी, इंग्लिश और ईवीएस—तीनों विषयों की किताबों में बदलाव हुआ है। लोकतंत्र, संविधान की नींव, और ‘हमारा गांव’ जैसे अध्यायों से बच्चों को अपने परिवेश की समझ भी दी जाएगी।
बोलियों की बुनियाद पर लेखन
दिलावर बताते हैं कि इस बार सिर्फ विषय नहीं, भाषा पर भी ध्यान दिया गया है। प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा या स्थानीय बोलियों में देने के लिए जिलेवार शब्दकोश तैयार किए गए हैं। अधिकांश जिलों में यह काम पूरा हो चुका है।
इन शब्दकोशों के आधार पर किताबों की स्क्रिप्ट लिखी गई है, ताकि छात्र अपनी जड़ों से जुड़ें। अजमेर के बच्चे अगर ‘गागर’ कहते हैं तो किताब में वही शब्द लिखा मिलेगा, जैसलमेर में ‘चीकट’ कहने वाले बच्चों को भी उनकी बोली में पाठ समझ आएगा।
📚 अब सिलेबस में इन्हें किया गया शामिल
(राजस्थान की कक्षा 3 से 5वीं तक के स्कूली पाठ्यक्रम में जोड़े गए नए विषय और शख्सियतें)
🟡 कक्षा 3
- होली‑दीवाली जैसे धार्मिक त्योहार
- खेजड़ली का बलिदान: अमृता देवी सहित 363 बिश्नोई
- पर्यावरण संरक्षण
- पेड़ों के सच्चे रक्षक
- लोककथाओं की पहली सीढ़ी
🟢 कक्षा 4
- वीर दुर्गादास
- महाराणा प्रताप
- रामदेवरा पदयात्रा
- संयुक्त परिवार
🔵 कक्षा 5
- क्रांतिनायक गोविंद गुरु
- दयानंद सरस्वती
- छत्रपति शिवाजी
- नेताजी सुभाष चंद्र बोस
- सरदार वल्लभभाई पटेल
- भारत की नदियाँ
- चंद्रयान मिशन
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एनईपी के तहत बड़े बदलाव
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और एनसीएफ 2023 के मुताबिक, अब स्कूली शिक्षा स्थानीयता, व्यावहारिकता और राष्ट्रीय मूल्यों पर केंद्रित होगी।
इस नीति के अनुसार, कक्षा 6 से 9 और 11वीं के लिए भी नया सिलेबस बनाया जा रहा है, जो सत्र 2026–27 में लागू होगा। वहीं, 10वीं और 12वीं का नया कोर्स 2027–28 से पढ़ाया जाएगा। इसके लिए राज्य स्तर पर एक्शन प्लान मांगा गया है।
दिलावर का दावा है कि “अब किताबें सिर्फ याद करने की चीज नहीं रहेंगी, बच्चों को पढ़ते वक्त महसूस होगा कि ये उनके आसपास की ही बातें हैं।”
शिक्षा में अब स्थानीय रंग
इस बदलाव का फोकस है—राजस्थान के बच्चों को उनकी मिट्टी से जोड़ना। खेजड़ी के नीचे खून बहाने वाला बिश्नोई हो या हल्दीघाटी की रणभूमि में लड़े महाराणा, नई किताबों में हर पन्ने पर एक कहानी है, एक सबक है, और एक पहचान भी।
राजस्थान के शिक्षा विभाग का कहना है कि इस कदम से बच्चे पारंपरिक ज्ञान, सामाजिक मूल्यों और सांस्कृतिक चेतना से जुड़ेंगे। लेकिन असली असर किताबें पढ़ने के बाद ही सामने आएगा—कक्षा की खामोशी में क्या गूंजता है: इतिहास या सिर्फ एक अध्याय।