राजस्थान विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर RAS मेन्स 2024 परीक्षा की तिथि टालने की मांग को लेकर छात्रों का प्रदर्शन सातवें दिन भी जारी है। बीते पांच दिनों से भूख हड़ताल कर रहे अभ्यर्थियों में से अब तक पांच की तबीयत बिगड़ चुकी है। सोमवार को जहां तीन छात्रों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा, वहीं मंगलवार को दो और प्रदर्शनकारी बीमार पड़ गए। सभी का इलाज जयपुर के अस्पतालों में किया जा रहा है।
धरना स्थल पर एंबुलेंस, छात्र बेहोश
मंगलवार को जब दो छात्र बेहोश हो गए, तो मौके पर खड़ी एंबुलेंस तुरंत हरकत में आई। मेडिकल टीम की निगरानी में दोनों को अस्पताल पहुंचाया गया। इससे पहले सोमवार शाम को भी इसी तरह की स्थिति बनी थी, जब तीन छात्रों को आपातकालीन हालत में ले जाना पड़ा। भूख हड़ताल पर बैठे छात्रों की हालत देखकर अब धरना स्थल पर पुलिस और मेडिकल टीमों की मौजूदगी बढ़ा दी गई है।
सीएम आवास पहुंचे छात्र, मिला आश्वासन
सोमवार को देर शाम भूख हड़ताल पर बैठे छात्रों का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री आवास पहुंचा। वहां उन्होंने सरकार के सामने परीक्षा की तारीख आगे बढ़ाने की मांग दोहराई। छात्रों का कहना है कि उन्हें मुख्यमंत्री कार्यालय से मामले पर संज्ञान लेकर जल्द कार्रवाई का आश्वासन मिला है। हालांकि, अब भी धरना खत्म नहीं किया गया है।

आश्वासन के बावजूद आंदोलन जारी
प्रतिनिधिमंडल में शामिल छात्रों का कहना है कि सरकार को मंगलवार शाम तक का समय दिया गया है। अगर तब तक कोई ठोस फैसला नहीं आया, तो वे आमरण अनशन जारी रखेंगे। उनका साफ कहना है कि अगर भूख हड़ताल के चलते किसी भी छात्र की तबीयत और बिगड़ती है, तो इसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी।
क्यों बढ़ाना चाहते हैं परीक्षा की तारीख
17 और 18 जून को आयोजित होने जा रही RAS मुख्य परीक्षा 2024 को लेकर अभ्यर्थियों की मांग है कि इसे कम से कम तीन महीने के लिए टाल दिया जाए। उनका तर्क है कि पिछली RAS परीक्षा का अंतिम परिणाम अभी घोषित नहीं हुआ है, जिससे बड़ी संख्या में ऐसे छात्र भी दोबारा परीक्षा देने को मजबूर हैं, जो पहले ही चयनित हो सकते हैं। इससे सीटों की बर्बादी और पात्र छात्रों के साथ अन्याय की आशंका जताई जा रही है।
RPSC से वार्षिक कैलेंडर की भी मांग
परीक्षा टालने की मांग के साथ-साथ छात्र RPSC से एक वार्षिक परीक्षा कैलेंडर जारी करने की भी मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि इससे भविष्य की तैयारियों में पारदर्शिता और दिशा मिलेगी। बिना पूर्व सूचना के तिथि तय होने से छात्र मानसिक दबाव और अव्यवस्था का शिकार हो जाते हैं।