भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक के बाद बड़ा ऐलान करते हुए रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर दी। अब यह दर घटकर 5.5 प्रतिशत पर आ गई है। यह फैसला खासकर उन लोगों के लिए राहतभरा है जो होम लोन, ऑटो लोन या अन्य किसी तरह की ईएमआई चुका रहे हैं।
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने यह घोषणा दो दिवसीय बैठक के समापन के बाद की। उन्होंने कहा कि वैश्विक आर्थिक सुस्ती के इस दौर में यह निर्णय घरेलू मांग को स्थिर बनाए रखने और निवेश को गति देने की रणनीति का हिस्सा है।
लगातार तीसरी कटौती, अब तक 1% की राहत
गौर करने वाली बात यह है कि पिछले छह महीनों में यह तीसरी बार है जब केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट में कटौती की है। इससे पहले फरवरी और अप्रैल में भी 25-25 बेसिस प्वाइंट की कमी की गई थी। तब रेपो रेट 6% पर आ गई थी, जो अब और गिरकर 5.5% हो गई है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, रेपो रेट में कटौती का असर सीधे-सीधे बैंकों के उधारी रुख पर पड़ेगा। यानी आने वाले दिनों में होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन की ब्याज दरें कम हो सकती हैं।
वैश्विक दबाव में भारतीय अर्थव्यवस्था
आरबीआई का यह फैसला ऐसे समय में आया है जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापार और निवेश को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। खासकर अमेरिका द्वारा एल्यूमिनियम और स्टील पर टैरिफ दरें 50 प्रतिशत तक बढ़ाना, भारत जैसे निर्यातक देशों के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है।
इन परिस्थितियों को देखते हुए आरबीआई ने स्पष्ट संकेत दिए कि अब नीतिगत प्राथमिकता घरेलू खपत और निवेश चक्र को पुनर्जीवित करने की है।
निवेश को मिलेगा बढ़ावा, महंगाई नियंत्रण में
गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि वर्तमान मुद्रास्फीति के आंकड़े नियंत्रण में हैं और खाद्य कीमतों में हालिया स्थिरता को देखते हुए दरों में कटौती का जोखिम न्यूनतम है। उन्होंने कहा कि यह कदम ‘ग्रोथ विद स्टेबिलिटी’ के एजेंडे को मजबूत करेगा।