रविवार, जून 15, 2025
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बेंगलुरु भगदड़: बेटे की कब्र से लिपट कर रोया पिता, बोला- मैं कहीं और नहीं जाना चाहता… मैं भी यहीं रहना चाहता हूं

चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर RCB की जीत पर जुटे हज़ारों फैन्स के बीच जो भीड़ उमड़ी, उसने सिर्फ जश्न नहीं, कई घरों की खुशियां भी छीन लीं। उसी भीड़ में जान गंवाने वाले 21 वर्षीय भूमिक लक्ष्मण की कहानी अब पूरे देश का दिल तोड़ रही है।

भावुक करने वाला एक वीडियो सामने आया है, जिसमें भूमिक के पिता बीटी लक्ष्मण अपने बेटे की कब्र से लिपटे हुए रोते हैं। आवाज़ भर आई है, लेकिन उनके शब्द साफ़ हैं – “मैं कहीं और नहीं जाना चाहता… मैं भी यहीं रहना चाहता हूं।”

वीडियो में दिखता है कि दो लोग उन्हें उठाने की कोशिश करते हैं, लेकिन वे बार-बार बेटे की मिट्टी से चिपट जाते हैं। आंखें रो रही हैं, और ज़ुबान पर बस एक बात – “कोई भी पिता ऐसा दिन न देखे जैसा मैं देख रहा हूं।”

RCB परेड बनी मौत की वजह

4 जून को चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) की ‘विक्ट्री परेड’ के लिए भारी भीड़ जमा हुई थी। टीम के ऐतिहासिक प्रदर्शन का जश्न देखने के लिए फैंस सुबह से उमड़ पड़े। लेकिन इंतज़ाम नहीं थे। न ट्रैफिक कंट्रोल, न पर्याप्त पुलिसबल। नतीजा – भगदड़ में 11 लोगों की जान चली गई, जिनमें एक 14 साल की बच्ची और भूमिक जैसे युवा शामिल थे।

भूमिक लक्ष्मण इंजीनियरिंग के अंतिम वर्ष में थे। दोस्त उन्हें जबरदस्ती जश्न में ले गए थे, लेकिन उन्हें क्या पता था कि ये शाम ज़िंदगी की आख़िरी शाम होगी।

भीतर जश्न, बाहर मातम

वो पल भयावह था। जब स्टेडियम के भीतर चमकते फ्लडलाइट्स के नीचे जश्न की तस्वीरें बन रही थीं, बाहर लोग दम तोड़ रहे थे। वीडियो फुटेज से साफ़ है कि आयोजकों ने सुरक्षा प्रबंधन को नजरअंदाज कर दिया।

मीडिया रिपोर्ट्स में सामने आया कि RCB की परेड की घोषणा अचानक की गई थी, लेकिन प्रशासन को पर्याप्त समय नहीं दिया गया।

हाईकोर्ट ने मांगी रिपोर्ट, BCCI मौन

हादसे के बाद कर्नाटक हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार और पुलिस से रिपोर्ट तलब की है। अदालत ने 10 जून तक जवाब देने को कहा है। वहीं BCCI इस पूरे मामले से किनारा कर चुकी है।

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस घटना के लिए पुलिस को ज़िम्मेदार ठहराया। नतीजतन पुलिस कमिश्नर समेत कई अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया। उनकी जगह सीमांत कुमार सिंह को बेंगलुरु का नया पुलिस कमिश्नर नियुक्त किया गया है।

हर चेहरे के पीछे अधूरा सपना

इस हादसे ने सिर्फ 11 ज़िंदगियां नहीं छीनीं, बल्कि उनके पीछे छूट गए परिवारों की पूरी दुनिया उजाड़ दी। बीटी लक्ष्मण की आँखें कैमरे की ओर नहीं देखतीं, वे उस मिट्टी में बेटे की मौजूदगी खोजती हैं, जहां अब कोई आवाज़ नहीं आती। और वे बस यही कह पाते हैं – “मैं भी यहीं रहना चाहता हूं।”

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