रविवार, जून 15, 2025
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शनि जन्मोत्सव आज, इस साल बन रहा सर्वार्थ सिद्धि योग, ऐसे करें पूजा और पाएं शनि देव की कृपा

न्याय के देवता शनिदेव का जन्मोत्सव मंगलवार (27 मई) को मनाया जाएगा। इस अवसर पर शनि मंदिरों को विशेष तौर पर सजाया गया है। जहां दिनभर तेलाभिषेक और दान पुण्य के आयोजन होंगे। इस बार शनि जन्मोत्सव पर द्विपुष्कर, सर्वार्थ सिद्धि, सुकर्मा योग और कृत्तिक-रोहिणी नक्षत्र जैसे संयोग भी बन रहे हैं। शनि देव को प्रसन्न करने और शनि दोष को दूर करने के लिए यह दिन सर्वोत्तम माना गया है। इस दिन श्रद्धालु भक्ति भाव से शनिदेव की पूजा अर्चना कर व्रत भी रखते हैं। माना जाता है कि इससे शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव दूर होता है।

शनि जयंती 2025 पर बन रहे हैं शुभ योग और खास मुहूर्त

  • सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 05:25 से 05:32 तक
  • सुकर्मा योग: सुबह 05:32 के बाद
  • अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:51 से दोपहर 12:46 तक

इन योगों में की गई पूजा विशेष फलदायक मानी जाती है।

शनि जयंती पर ज़रूरी पूजा सामग्री

शनि देव की पूजा सरल लेकिन नियमबद्ध मानी जाती है। इसलिए सही सामग्रियों का होना जरूरी है:

  • काला तिल, काला चना, काली उड़द की दाल
  • सरसों का तेल, शमी और पीपल के पत्ते
  • काला वस्त्र, नीले रंग के फूल
  • गुलाब जामुन, मौसमी फल
  • लोहा या स्टील का बर्तन, धूप-दीप
  • शनि चालीसा या शनि जयंती कथा की पुस्तक

शनि जन्मोत्सव पर कैसे करें शनि देव की पूजा

इस दिन प्रातः स्नान कर सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाता है। घर अथवा मंदिर में शनिदेव की तस्वीर या मूर्ति स्थापित कर नीले वस्त्र, नीले फूल, काजल, अबीर और इमरती से उनका श्रृंगार किया जाता है। तेल चढ़ाना, दीपक जलाना और शमी पत्र अर्पण करना विशेष माना जाता है। पूजा के अंत में आरती कर काले तिल, काली उड़द, नीले वस्त्र और सरसों के तेल का दान करने की परंपरा है।

अगर मूर्ति उपलब्ध न हो, तो एक सुपारी को प्रतीक रूप में स्थापित कर पूजा की जा सकती है। यह पूजा साधना और संयम का अभ्यास भी है, जो मानसिक और आत्मिक संतुलन के लिए सहायक है।

पूजा विधि: इन बातों का रखें विशेष ध्यान

भक्त इस दिन किसी नजदीकी शनि मंदिर जाकर विधिपूर्वक पूजा करते हैं।

  • सबसे पहले शनि देव को काला तिल, काले चने, काली उड़द, पीपल के पत्ते, और नीले फूल अर्पित करें।
  • फिर काला वस्त्र चढ़ाएं और गुलाब जामुन का भोग लगाएं।
  • एक दीपक में सरसों के तेल की बाती जलाएं।
  • इसके बाद शनि चालीसा या शनि जन्म कथा का पाठ करें।
  • ध्यान रहे: पूजा करते समय शनि देव की आंखों में नहीं देखना चाहिए, यह नियम का उल्लंघन माना जाता है।

शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए करें इन वस्तुओं का दान

1. काली उड़द की दाल

धार्मिक महत्व: काली उड़द को शनि का प्रिय अन्न माना गया है।
दान क्यों करें? यह दान आर्थिक तंगी, कर्ज और गृहस्थ जीवन की अस्थिरता को दूर करने में मदद करता है।
कैसे दें? सवा किलो काली उड़द किसी ज़रूरतमंद या गरीब व्यक्ति को देने की परंपरा है। इसे मंदिर में भी चढ़ाया जा सकता है।

2. काले कपड़े और जूते-चप्पल

धार्मिक महत्व: काला रंग शनिदेव से जुड़ा हुआ है, जो स्थिरता और संयम का प्रतीक है।
दान क्यों करें? बीमारियों, पारिवारिक कलह और मानसिक तनाव से मुक्ति पाने हेतु यह दान शुभ माना जाता है।
कैसे दें? नए या साफ सुथरे काले कपड़े और जूते ज़रूरतमंदों को दान करें।

3. काले तिल और काले चने

धार्मिक महत्व: काले तिल और चने को शनि दोष को शांत करने में सहायक माना जाता है।
दान क्यों करें? राहु, केतु और शनि के अशुभ प्रभाव को कम करने और जीवन में बाधाओं को दूर करने के लिए।
कैसे दें? थोड़ी मात्रा में काले तिल और चने किसी वृद्ध, गरीब या रोगी व्यक्ति को दें, या मंदिर में अर्पित करें।

4. सात प्रकार के अनाज 

धार्मिक महत्व: सात अनाजों का दान समस्त ग्रह दोषों की शांति और पुण्य प्राप्ति के लिए किया जाता है।
दान क्यों करें? यह दान समृद्धि, स्वास्थ्य और करियर में उन्नति के लिए शुभ होता है।
सात अनाज: गेहूं, चावल, चना, ज्वार, बाजरा, मक्का, काली उड़द
कैसे दें? इन सभी को एक साथ किसी गरीब या भूखे को दान करें, या किसी गौशाला/अन्न क्षेत्र में अर्पित करें।
5. सरसों का तेल

धार्मिक महत्व: सरसों का तेल शनिदेव को प्रिय माना गया है और उन्हें यह अर्पित करना विशेष फलदायी होता है।
दान क्यों करें? यह दान कार्यों में आ रही रुकावटों को हटाने और जीवन में प्रगति लाने वाला माना जाता है।
कैसे दें? शनिदेव को तेल अर्पित करने के बाद थोड़ी मात्रा किसी ज़रूरतमंद को दें, या मंदिर में दीपक जलाएं।

6. लोहे से बनी वस्तुएं

धार्मिक महत्व: लोहा शनिदेव के धातु स्वरूप से जुड़ा है।
दान क्यों करें? कार्यक्षेत्र, नौकरी और व्यापार में बाधा या रुकावट को दूर करने में सहायक।
कैसे दें? लोहे की कोई उपयोगी वस्तु जैसे चाकू, कढ़ाई, तवा आदि ज़रूरतमंद को दान करें।

7. नीले फूल और शमी पत्र

धार्मिक महत्व: नीले फूल और शमी के पत्ते शनिदेव को अत्यंत प्रिय हैं।
दान क्यों करें? इनका अर्पण मानसिक शांति और ग्रह दोषों की शांति के लिए किया जाता है।
कैसे दें? शनिदेव की मूर्ति या तस्वीर पर अर्पित करें, या किसी शनि मंदिर में चढ़ाएं।

इन सभी वस्तुओं का दान शनि जन्मोत्सव जैसे विशेष अवसर पर करने से न केवल धार्मिक लाभ प्राप्त होता है, बल्कि यह समाज के प्रति हमारी ज़िम्मेदारी और संवेदनशीलता का भी प्रतीक बनता है। यदि आप इनमें से कुछ ही वस्तुएँ भी श्रद्धा और सेवा-भाव से दान करते हैं, तो उसका फल आपके जीवन में अवश्य परिलक्षित होगा।

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