एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स को स्टारलिंक प्रोजेक्ट के तहत भारत में इंटरनेट सेवाएं शुरू करने के लिए दूरसंचार विभाग से आधिकारिक लाइसेंस मिल चुका है। अब कंपनी को सिर्फ भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe) की अंतिम मंजूरी का इंतजार है।
सूत्रों के हवाले से रॉयटर्स की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि स्टारलिंक को अगले दो से तीन हफ्तों में ट्रायल स्पेक्ट्रम मिल सकता है। इसके बाद कंपनी भारत में अपने सैटेलाइट आधारित इंटरनेट नेटवर्क का परीक्षण शुरू करेगी और फिर तय योजना के तहत व्यावसायिक सेवाएं शुरू होंगी।
अन्य दो कंपनियों को पहले ही मंजूरी
स्टारलिंक भारत में सैटेलाइट इंटरनेट ऑपरेशन की मंजूरी पाने वाली तीसरी कंपनी बन गई है। इससे पहले रिलायंस जियो और भारती ग्रुप के साथ जुड़ी वनवेब को यह अनुमति मिल चुकी है। तीनों कंपनियां ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्रों में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी का दायरा बढ़ाने की दिशा में अहम भूमिका निभाने जा रही हैं।
सिर्फ ₹840 में अनलिमिटेड डेटा
हालांकि कंपनी की ओर से आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन The Economic Times की रिपोर्ट के अनुसार, स्टारलिंक अपनी सेवाओं की शुरुआत एक प्रमोशनल प्लान से कर सकती है, जिसकी कीमत लगभग ₹840 प्रति माह हो सकती है। इस प्लान में ग्राहकों को अनलिमिटेड डेटा दिया जाएगा। अगर यह सच साबित होता है तो भारत जैसे विशाल और विविध भौगोलिक क्षेत्र में यह क्रांतिकारी कदम माना जा सकता है।
2022 से लंबित थी मंजूरी प्रक्रिया
स्पेसएक्स वर्ष 2022 से भारत में प्रवेश की कोशिश कर रही थी, लेकिन सुरक्षा से जुड़ी शर्तों को पूरा न करने की वजह से लाइसेंस प्रक्रिया टलती रही। भारत सरकार ने कॉल इंटरसेप्शन और डेटा स्टोरेज को लेकर स्पष्ट दिशानिर्देश दिए थे। मई 2025 में इन शर्तों को मानने के बाद कंपनी को ‘लेटर ऑफ इंटेंट’ मिला, और अब आधिकारिक मंजूरी भी मिल चुकी है।
IN-SPACe: प्राइवेट कंपनियों के लिए ‘सिंगल विंडो’
बता दें कि IN-SPACe की स्थापना भारत सरकार ने जून 2020 में की थी। यह संस्था निजी कंपनियों को अंतरिक्ष क्षेत्र में काम करने के लिए एक सहज और नियंत्रित माहौल देने का काम करती है। स्पेस बेस्ड सेवाओं के लिए लाइसेंसिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर शेयरिंग और निगरानी जैसी जिम्मेदारियां इसी के अधीन आती हैं।