भारतीय जीवन शैली में ऋतुओं और महीनों का विशेष महत्व है। खास तौर पर खानपान को लेकर कई नियम ऋतुओं के अनुसार शरीर और मन की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं। बात यदि मई माह की जाए तो इस दौरान भारतीय मास का वैशाख और ज्येष्ठ मास होता है। ऐसे में इस दौरान शरीर को ऐसे भोजन की आवश्यकता होती है जो गर्मी से बचाता हो और स्वस्थ रखता हो।
वैशाख माह में क्या खाएं और क्या नहीं
वैशाख माह में शरीर को संतुलित रखने के लिए कुछ विशेष आहार और व्यवहार सुझाए गए हैं। इस मास में तली-भुनी चीजों का सेवन कम करना चाहिए, क्योंकि यह समय शरीर में पित्त बढ़ने का होता है। बेल फल का सेवन स्वास्थ्यवर्धक माना गया है। साथ ही इस माह शरीर में बाहरी तेल लगाने से परहेज करना चाहिए क्योंकि यह गर्मी और जलन को बढ़ा सकता है।
ज्येष्ठ माह की सावधानियां और आहार नियम
ज्येष्ठ मास के आते-आते गर्मी अपने चरम पर पहुंच जाती है। इस माह में विशेषकर दोपहर के समय घर से बाहर निकलना वर्जित बताया गया है, खासकर बच्चों के लिए। यह समय शरीर को ठंडक देने वाले आहार लेने का होता है। बेल का रस, गन्ने का रस, ठंडा दूध, छाछ और पानी की पर्याप्त मात्रा सेवन करने से शरीर में ऊर्जा बनी रहती है।
दोपहर भोजन और विश्राम का विशेष निर्देश
शास्त्रों में दोपहर के भोजन के बाद थोड़ी देर विश्राम करने की सलाह दी गई है, ताकि पाचन तंत्र पर अनावश्यक दबाव न पड़े। ज्येष्ठ माह में यह विशेष रूप से आवश्यक माना गया है क्योंकि गर्मी शरीर को थका देती है और मानसिक ऊर्जा भी क्षीण होती है।
मई महीने में जीवनशैली कैसी होनी चाहिए
मई में हल्के और सूती वस्त्र पहनना, दिनभर जल का सेवन करते रहना और सूर्य की तीव्र किरणों से बचना अत्यंत आवश्यक बताया गया है। दिनचर्या में जल्दी उठना, सूर्य नमस्कार जैसे हल्के शारीरिक अभ्यास, शांतिपूर्ण वातावरण में ध्यान और सरल भोजन शामिल करना लाभकारी होता है।