केंद्र सरकार ने यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) को बढ़ावा देने के लिए बड़ा कदम उठाया है। केंद्रीय कैबिनेट ने छोटे डिजिटल ट्रांजैक्शन को प्रोत्साहित करने के लिए 1,500 करोड़ रुपये की नई योजना को मंजूरी दे दी है। इस योजना के तहत 2000 रुपये से कम के ट्रांजैक्शन पर छोटे व्यापारियों को आर्थिक लाभ मिलेगा। यह कदम डिजिटल भुगतान को और सरल बनाने और देश में कैशलेस अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में उठाया गया है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि यह योजना अगले वित्तीय वर्ष में भी जारी रह सकती है।
छोटे व्यापारियों को कैसे मिलेगा लाभ?
- 0.15% की दर से प्रोत्साहन राशि छोटे व्यापारियों को मिलेगी।
- ग्राहक बिना किसी अतिरिक्त चार्ज के छोटी खरीदारी के लिए UPI पेमेंट कर सकेंगे।
- छोटे दुकानदार और व्यापारी डिजिटल भुगतान अपनाने के लिए प्रेरित होंगे।
योजना कैसे काम करेगी?
- 2000 रुपये से कम के लेन-देन पर कोई MDR (Merchant Discount Rate) चार्ज नहीं लिया जाएगा।
- हर तिमाही में 80% प्रोत्साहन राशि बैंकों को दी जाएगी।
- बैंक को शेष 20% तभी मिलेगा जब उनकी सेवा का स्तर उच्च होगा।
- बैंकिंग सिस्टम की अपटाइम 99.5% से अधिक होनी चाहिए और तकनीकी गड़बड़ी 0.75% से कम होनी चाहिए।
ऑनलाइन फ्रॉड रोकने के लिए सरकार की नई रणनीति
नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) अब मर्चेंट पेमेंट में ‘कलेक्ट कॉल’ ट्रांजैक्शन को खत्म करने की योजना बना रहा है। यह ऑनलाइन फ्रॉड को रोकने की एक महत्वपूर्ण पहल होगी। RBI के डेटा के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2025 के पहले छह महीनों में डिजिटल बैंकिंग से जुड़े 13,133 फ्रॉड केस सामने आए, जिनमें 514 करोड़ रुपये की हेराफेरी हुई। इस योजना से छोटे व्यापारियों को राहत मिलेगी और UPI आधारित भुगतान प्रणाली अधिक सुरक्षित बनेगी।

- सरकार ने ₹1,500 करोड़ की UPI प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी, जिससे 2000 रुपये से कम के डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा मिलेगा।
- छोटे व्यापारियों को 0.15% तक की प्रोत्साहन राशि मिलेगी, जिससे वे डिजिटल भुगतान के लिए प्रेरित होंगे।
- बैंकों को 80% प्रोत्साहन तिमाही आधार पर मिलेगा, जबकि 20% राशि तब मिलेगी जब बैंक की सेवा गुणवत्ता बेहतर होगी।
- NPCI ‘कलेक्ट कॉल’ ट्रांजैक्शन को खत्म करने की योजना बना रहा है ताकि डिजिटल पेमेंट फ्रॉड को कम किया जा सके।
- RBI डेटा के अनुसार, FY25 के पहले छह महीनों में 13,133 डिजिटल बैंकिंग फ्रॉड के मामले सामने आए, जिनमें ₹514 करोड़ की हेराफेरी हुई।