रविवार, जून 15, 2025
spot_img
होमधर्म-संस्कृतिवट सावित्री व्रत 26 मई को, पति की दीर्घायु और खुशहाल वैवाहित...

वट सावित्री व्रत 26 मई को, पति की दीर्घायु और खुशहाल वैवाहित जीवन के लिए करें वटवृक्ष की पूजा

पति की दीर्घायु और खुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए मनाया जाने वाला वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ अमावस्या को मनाया जाता है। इस साल यह व्रत 26 मई, सोमवार को रखा जाएगा। पंचांग के अनुसार, अमावस्या तिथि 26 मई को दोपहर 12:11 बजे से शुरू होकर 27 मई सुबह 8:31 बजे तक रहेगी।

धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा में विशेष स्थान

 इस व्रत का विशेष महत्व विवाहित महिलाओं के लिए है, जो अपने पति की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए उपवास रखती हैं और विशेष पूजा करती हैं। लोकमान्यता के अनुसार, प्राचीन काल में सावित्री ने अपने विवेक और सत्यनिष्ठा के बल पर यम देव से अपने पति सत्यवान के प्राण वापस लिए थे। उसी प्रसंग की स्मृति में यह व्रत आज भी समाज में जीवंत है।

वट वृक्ष की अनुपस्थिति में पूजा का विकल्प

वट सावित्री व्रत में वटवृक्ष (बरगद का पेड़) की पूजा का विशेष महत्व होता है। लेकिन यदि व्रत वाले दिन बरगद का वृक्ष सुलभ न हो, तो महिलाएं एक दिन पहले उसकी टहनी घर में लाकर पूजा कर सकती हैं। और यदि टहनी भी न मिले तो तुलसी के पौधे को प्रतीकात्मक रूप से वटवृक्ष मानकर श्रद्धापूर्वक पूजन किया जा सकता है।

सामाजिक दृष्टिकोण से व्रत का योगदान

वट सावित्री व्रत न केवल धार्मिक साधना है, बल्कि यह समर्पण, आस्था और स्त्री-शक्ति का प्रतीक भी माना जाता है। यह व्रत स्त्री की उस भूमिका को उजागर करता है जो अपने परिवार की रक्षा, प्रेम और विश्वास के लिए सांस्कृतिक मर्यादाओं का पालन करती है।

सार्वजनिक जीवन में इसका प्रभाव और जागरूकता

शहरों में सार्वजनिक वटवृक्षों के नीचे महिलाएं एकत्र होकर पूजा करती हैं, गीत गाती हैं और पारंपरिक वस्त्रों में सजकर सामूहिकता का अनुभव साझा करती हैं। गांवों में यह पर्व और भी अधिक सामाजिक रंग लेता है, जहां इसे उत्सव की तरह मनाया जाता है।

अन्य खबरें