नई टैक्स व्यवस्था में करदाताओं के पास टैक्स बचाने के लिए 3 महत्वपूर्ण विकल्प हैं। जानिए स्टैंडर्ड डिडक्शन, एनपीएस और सेवानिवृत्ति लाभों की छूट के बारे में।
नई दिल्ली: सरकार ने टैक्स व्यवस्था को सरल बनाने और करदाताओं को राहत देने के लिए नई टैक्स रिजीम की शुरुआत की है। इसके तहत करदाता 12 लाख रुपये तक की आय पर टैक्स बचा सकते हैं।
आंकड़ों के अनुसार, 2024-25 में कुल 7.28 करोड़ आईटीआर दाखिल किए गए थे। 5.27 करोड़ ने नई टैक्स व्यवस्था को चुना। इससे स्पष्ट होता है कि अधिकांश करदाता इस नई व्यवस्था को अपना रहे हैं।
नई टैक्स व्यवस्था की विशेषताएँ
नई टैक्स व्यवस्था में पुराने कर उपायों की तुलना में कई छूटों और कटौतियों को हटा दिया गया है। जैसे कि एचआरए, एलटीए, होम लोन की ब्याज छूट और धारा 80सी के तहत मिलने वाली कटौतियाँ। हालांकि, इस व्यवस्था में करदाताओं को टैक्स फाइलिंग में आसानी मिली है। क्योंकि अब उन्हें छूट लेने के लिए दस्तावेज़ प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं होती है।
ये तीन विकल्प हैं जो करदाताओं को टैक्स बचाने में मदद करेंगे
1. स्टैंडर्ड डिडक्शन
सरकार ने स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा को बढ़ाकर 75,000 रुपये कर दी है। यह सीमा पहले 50,000 रुपये थी, जो अब करदाताओं को अतिरिक्त राहत प्रदान करती है।
2. एनपीएस योगदान पर छूट
नई टैक्स व्यवस्था के तहत, करदाता राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) में योगदान करके टैक्स छूट प्राप्त कर सकते हैं। ध्यान दें कि यह छूट केवल नियोक्ता द्वारा किए गए योगदान पर ही मिलेगी, कर्मचारियों के व्यक्तिगत योगदान पर नहीं।
3. सेवानिवृत्ति लाभों पर टैक्स छूट
नई व्यवस्था में, स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति, ग्रेच्युटी और लीव एनकैशमेंट को करमुक्त श्रेणी में रखा गया है। इससे करदाता इन लाभों पर टैक्स बचा सकते हैं।